लखनऊ (राजेश सिंह)। राजनीति का चस्का ही ऐसा है जो अच्छे अच्छों को दोस्त से दुश्मन बना देते हैं। राजनीति के इतिहास में ऐसे कई नेताओं की कहानियां भरी पड़ी हैं। जो कभी गहरे मित्र, मार्गदर्शक और अनुयायी भी थे, लेकिन आज राजनीति ने उनके रिश्ते में लंबी दरार खीच दी है। चुनावी जंग में वे एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देखना चाहते। दोस्त से दुश्मन बने नेताओं की सियासी कहानियों में अब कुंडा के राजा.. राजा भैया का नाम भी शुमार हो गया है। राजा भैया के बेहद करीबी ने ही उनकी सियासी जड़ें उखाड़ने की ठान ली है।
प्रतापगढ़ के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को कौन नहीं जानता। उनके खिलाफ चुनाव लड़ना तो दूर लोग नामांक भी भरने से पहले दस बार सोचते हैं। लेकिन इस बार का विधान सभा चुनाव बेहल अलग कलेवर में दिख रहा है। राजा भैया का प्रतापगढ़ में दबदबा है। वे कई सालों से कुंडा सीट से जीतते आ रहे हैं। उन्हें किसी बड़े दल की जरूरत पड़ती ही नहीं। वे अपने दम पर चुनाव जीतते हैं और राज्य की सत्ता में अच्छी पकड़ रखते हैं।
इस राजा भैया के खिलाफ उनके ही अनुचर गुलशन यादव ने ताल ठोक दी है। राजा भैया और गुलशन यादव के बीच घमासान लड़ाई चल रही है। समाजवादी पार्टी ने गुलशन यादव को मैदान में उतारा है, जबकि राजा भैया अपनी जनसत्ता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजा भैया 1993 से कुंडा सीट जीत रहे हैं और लड़ाई काफी हद तक एकतरफा रही है, लेकिन गुलशन यादव ने उनके खिलाफ ही ताल ठोंक दी है। राजा भैया ने अपने खिलाफ गुलशन यादव के अभियान को खारिज कर दिया और कहा, 'चलो अन्य चीजों के बारे में बात करते हैं।' वहीं गुलशन ने कहा, 'समाजवादी पार्टी के पक्ष में लहर है और मैं यह सीट जीतकर इतिहास रचूंगा।'