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महाशिवरात्रि कब है ? सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें

 

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surajvarta.in
धर्म-आस्था डेस्क
आज गुरुवार 24 फरवरी 2022 है।हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022, मंगलवार को मनाया जाएगा.

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन व्रत रख कर शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान है. ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्र से शिव जी की पूजा करता है भगवान भोले नाथ उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

*महाशिवरात्रि 2022, पूजा मुहूर्त, पारण का समय*
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.
पहला प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है.
दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.
तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है.
चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है.
पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है.

*महाशिवरात्रि पूजा विधि*
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.
दीप और कर्पूर जलाएं.
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.
सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.
प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें...
प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। मंत्र का जाप करना चाहिए.
इसके साथ ही व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए. अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.

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