मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
विकास खंड मेजा अंतर्गत ग्राम पंचायत भइयां,हड़गड, नेवादा सहित दर्जनों गांव के किसानों के चेहरे जो कि शासन द्वारा निर्धारित क्रय केन्द्र में धान की तौल की अन्तिम तिथि 28फरवरी 2022 बीतने पर मुरझा गये थे जैसे ही पता चला कि शासन द्वारा तौल की तिथि 7मार्च तक बढ़ा दी गयी है एक बार पुनः खिल उठे किन्तु जब क्रय केंद्र पर पहुंचे तो पता चला कि क्रय केद्रो पर ताला लटक रहा है।ग्राम पंचायत भइयां के किसान विनोद कुमार, जितनरायन,जगनायक प्रसाद,राजेश्वरी प्रसाद आदि ने बताया कि संबंधित अधिकारियों से जब बात करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा कहा जा रहा है कि तौल के लिए अभी आधिकारिक आदेश ही नहीं प्राप्त हुआ है।किसानों का यह भी आरोप है कि पूर्व में भी जब यह क्रय केंद्र हरदिहा,हड़गड में दस दिवस तक स्थापित था, तब भी एक भी किसान के धान की तौल नहीं करायी गयी थी बल्कि मीलर की साठ-गांठ से व्यापारियों के धान की तौल सम्बन्ध मील पर ही हुई थी।उक्त तथ्य की हकीकत जांचों-परान्त ही प्रमाणित हो पायेगी। न्याय पंचायत पथरा एवं कोहंडार के 25ग्राम पंचायत के सैकड़ो किसानों की धान क्रय केन्द्र पर तौल न होने का कारण बताते हुए जनसुनवाई फाउंडेशन के जनपद प्रभारी विवेक सिंह का कहना है कि शासन द्वारा किसानों के धान की तौल सुनिश्चित करने हेतु न्याय पंचायत स्तर पर क्रय केन्द्र स्थापित किये गये थे, जिसमें पी•एस•एफ• हरदिहा,हड़गड में भी तौल केन्द्र खोला गया था। जहां पर केंद्र प्रभारी द्वारा क्रमशः किसानों को पंजीबद्व कर बारी-बारी से धान लाने हेतु कहा गया था, किन्तु दस दिन के बाद उक्त केन्द्र को हटाकर मेजा में शिफ्ट किया गया था, प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो हड़गड हरदिहा में केवल 10दिवस में व्यापारियों की ही तौल हुई। बाकी किसानों की धान को क्रय केन्द्र से संबद्ध मील में तौल करायी गयी।कुछ किसानों का अंगूठा मेजा क्रय केन्द्र में मिलर के पहल पर लगाया गया जबकि अधिकांश किसानों का अंगूठा आज तक नहीं लग पाया, न्याय पंचायत पथरा एवं कोहंडार के अंतर्गत आने वाले सैकड़ो किसानों द्वारा बार-बार सक्षम अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत पंजीबन्ध करायी गयी जिसमें संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा मनगढ़त रिपोर्ट लगा दी गयी।पीड़ित किसानों को जब जानकारी मिली की धान खरीद की डेट बढ़ गयी है तो पुनः सक्षम अधिकारियों तक मैराथन दौड़ लगाना शुरू किये हैं।जब यह बात सामने आ रही है कि शासनादेश मात्र कागजी दिखावा है।किसी भी कीमत पर किसानों की तौल नहीं हो पायेगी।