प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रयागराज की 12 विधानसभाओं में सात विधानसभा सीटों को जीतने वाले पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार बनती है। ऐसा प्रयागराज के लोगों का मानना है। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में यह भी एक टोटका है कि प्रयागराज में जो दल आठ सीट जीत लेती है उसकी सरकार यूपी में बनना तय हो जाता है। यह ट्रेंड 2007 से देखने को मिल रहा है कि जो दल यहां ज्यादा सीटें जीत लेता है, यूपी में उसकी सरकार बनती है। 2007 में बसपा, 2012 में सपा, 2017 में भाजपा ने प्रयागराज में आठ सीट जीतकर यूपी में सरकार बना ली थी। यहां का चुनाव पूरे पूर्वांचल या यूं कहें की पूरे सूबे पर असर डालता है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि यह पूरा जिला ही राजनीति का अखाड़ा है और यहां से उभरने वाला कोई नेता, कब राष्ट्रीय फलक पर छा जाए इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। अब चुनावी फ्लैश बैक में चलते हैं। गौर करिए 2007 में बसपा ने प्रयागराज में 8 सीटें जीती और सरकार बनाई। 2012 में सपा ने यहां आठ सीटें जीती और सरकार बनाने में कामयाब रही और 2017 में भाजपा ने भी यहां आठ सीटें जीती और कमोबेश नतीजा वही रहा, भाजपा ने भी सरकार बनाई। इस बार भी पूरे सूबे और हर राजनीतिक दल की नजर प्रयागराज पर ही है। कल परिणाम का दिन है और हर कोई प्रयागराज में अधिकतम सीटों पर विजय हासिल करना चाहेगा। इसे संयोग कहे या समीकरण 2002 में जब प्रयागराज में किसी भी दल ने आठ सीट नहीं जीती और खंडित जनादेश रहा। नतीजा सूबे में भी गठबंधन में ही सरकार बनी थी। लेकिन पिछले तीन विधान सभा चुनाव ने प्रयागराज के जनादेश को सूबे का जनादेश बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है। अब इस बार मतदाता इतिहास दोहराएंगे या नई कहानी लिखेंगे यह दस मार्च को देखने को मिलेगा।