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खैरागढ़ किला मेजा: ध्वस्त होता मुगलकालीन धरोहर

 

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बरसैता नाला और टोंस नदी के तट पर अवस्थित मुगलकालीन खैरागढ़ किला अपने सीने में सैकड़ों राज दफन किये, अपना अस्तित्व बचाने में असफल हो शासन प्रशासन की लापरवाही का दंश झेल रहा है। मुग़ल कालीन के अंतिम शासनकाल और मौर्य वंशजों के बढ़ते प्रभाव के मध्य निर्माणाधीन खैरागढ़ किले को लेकर प्रामाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है...

प्रयागराज जनपद से सड़क मार्ग से लगभग 45 किलोमीटर और वायुमार्ग से लगभग 25 किलोमीटर दूर पूरब और दक्षिण दिशा में मेजा तहसील के मेजा विकास खंड अंतर्गत ग्राम सभा सिंहपुर कला के समीप बरसैता नाला और टोंस नदी के तट पर अवस्थित मुगलकालीन खैरागढ़ किला अपने सीने में सैकड़ों राज दफन किये, अपना अस्तित्व बचाने में असफल हो शासन प्रशासन की लापरवाही का दंश झेल रहा है।
मुग़ल कालीन के अंतिम शासनकाल और मौर्य वंशजों के बढ़ते प्रभाव के मध्य निर्माणाधीन खैरागढ़ किले को लेकर प्रामाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। स्थानीय बुजुर्गों की जुबानी किस्से और कहानियों का गवाह बनकर रह गया है।

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प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर मेजारोड बाजार से कोहड़ार मार्ग पर अवस्थित है।
किवंदति है कि जब इलाहाबाद में अकबर के किले का निर्माण हो रहा था तो उसी के साथ इसका भी निर्माण शुरू कराया गया था। शर्त थी कि जिस किले का निर्माण पहले पूरा होगा उसे ही मुगलों की राजधानी बनाया जाएगा। स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है कि जिस किले का निर्माण पहले होगा वहां सूचना के लिए अपने किले की बुर्ज से रात में दीप जला देगा।

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एक दिन इलाहाबाद किले में मिस्त्री की कन्नी नीचे गिर गई, जिसे ढूढ़ने के लिए दीप जला दिया गया। इसकी सूचना खैरागढ़ के कारिंदों को लगी कि इलाहाबाद का किला पूरा हो गया है। लिहाजा खौरागढ़ में कार्य कर रहे कारिंदे और मुगल अधिकारी ज़लालत के डर से उफनाई टोंस नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।

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मुगल ग्रंथों में इलाहाबाद के किले का उल्लेख तो मिलता है, लेकिन खैरागढ़ किले का इलाहाबाद किले से सम्बन्ध होने का प्रमाण नहीं मिलता।
इस तरह फिर यही सवाल उठता है कि आखिर इसको किसने बनवाया था ? तो इसका अभी भी किसी निष्कर्ष पर सर्वे आफ इंडिया नहीं पहुँच पाया है।

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इलाहाबाद गजेटियर पढ़ने पर पता चलता है कि खैरागढ़ परगना कभी राजा रामगोपाल सिंह मांडा के पूर्वजों की रियासत का हिस्सा था।
इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि गुड्डन देव ने 1542 के आसपास मांडा रियासत की स्थापना किया था। यह वह काल है। जब बाबर का शासन खत्म हो चुका था और हुमायूं भी पलायन का जीवन जी रहा था। मूलतः इस दौर में शेरशाह सूरी शासन कर रहा था। दूसरी ओर इलाहाबाद किले का निर्माण कार्य शुरू होने की बात अकबर द्वारा 1583 ईसवी की बताई जाती है।
*इतिहास के आइने में:*
15 अक्टूबर 1542 में जलालुद्दीन अकबर का जन्म हुआ था। मुगल एक इस्लामी तुर्की मंगोल का साम्राज्य था जिसकी शुरुआत 1526 में हुई थी। इस साम्राज्य ने 17वीं शताब्दी के अंत तक आठवीं शताब्दी के शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप पर अपना शासन किया और 19वीं शताब्दी के दौरान इस शासन का अंत हो गया था। बाबर तैमूर का वंशज होने के नाते इस राजवंश को तिमुरिड राजवंश के नाम से भी जाना जाता है। 1526 ई. में मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई। 1857 में यह ब्रिटिश राज द्वारा हटा दिया गया। *प्रस्तुति: राजेश शुक्ला (ग्रुप संपादक)*

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