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सियासी विवादों के बीच नये शेरों की तारीफ कर रही जनता

 

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नई दिल्ली। नए संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के शिखर पर लगाए गए राष्ट्रीय चिह्न के शेरों की मुद्रा को लेकर भले ही विपक्ष राजनीति कर रहा हो, लेकिन देश के लोग बड़ी संख्या में इस चिह्न की प्रशंसा कर रहे हैं। लोग अपने तर्को से विपक्ष के आरोपों का भी जवाब दे रहे हैं और राष्ट्रीय चिह्न की इस विशाल प्रतिकृति को विश्व में भारत के सशक्त होते गौरव और पहचान का प्रतीक भी बता रहे हैं।

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*भारतीय सभ्यता का परिचायक*
लक्ष्मी एम पुरी ने इस इंटरनेट मीडिया मंच पर लिखा है, 'और भारतीय शेर दहाड़ रहा है। अ कोलोसल लायन कैपिटल-लोकतंत्र के नए मंदिर के शिखर पर लगा महान भारतीय सभ्यता और स्वाधीन भारत का परिचायक चिह्न। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और एक नए व आत्मविश्वास से भरे भारत की संसद।'

*भारत वीरों की धरती*
वहीं, जोगलेकर सौरभ नाम के अकाउंट से लिखा गया है कि शेर स्वभाव से योद्धा होता है। निर्भय होता है। भारत स्वाधीन और वीर लोगों की धरती है। अनुराग राठौर ने शेरों को आक्रामक बताए जाने पर ट्विटर पर जवाब दिया है कि हां, भारत एक निर्भय और स्वाभिमानी देश है।

*अब टूथलेस टाइगर मंजूर नहीं*
घोस्टराइडर नाम के अकाउंट से इस प्रतिकृति की फोटो शेयर करने के साथ लिखा गया है कि भारत यानी इंडिया अब टूथलेस टाइगर नहीं है। दो दिन से इंटरनेट मीडिया पर छाया मुद्दा:इंटरनेट मीडिया पर बीते दो दिन से राष्ट्रीय चिह्न की प्रतिकृति में शेरों की मुद्रा को लेकर विवाद चल रहा है।

*विपक्ष उठा रहा सवाल*
विपक्ष के नेता आरोप लगा रहे हैं कि शेरों को आक्रामक बनाया गया है। सरकार ने इस आरोप का पुरजोर खंडन किया है और साथ ही वह कारण भी बताए हैं जिनके कारण शेरों की मुद्रा में बदलाव का भ्रम हो रहा है।

*यह है शिल्‍पकारों की राय*
प्रतिकृति बनाने वाले शिल्पकारों ने भी स्पष्ट किया है कि इसके विशाल आकार व देखने के एंगिल के कारण शेरों की मुद्रा बदली हुई समझ में आ रही है। प्रतिकृति को सारनाथ में संग्रहालय में संरक्षित अशोक स्तंभ को देखकर ही हूबहू बनाया गया है।

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