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नैनी जेल से चित्रकूट जेल भेजे गए नरेन्द्र गिरी की मौत मामले मे गिरफ्तार आनन्द गिरि

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में गिरफ्तारी के बाद नैनी सेंट्रल जेल में बंद आनंद गिरि को चित्रकूट जेल स्थानांतरित कर दिया गया है। आदेश मिलने पर जेल प्रशासन ने आनंद गिरि को शुक्रवार सुबह रवाना करने के बाद चित्रकूट जेल पहुंचा दिया। पिछले दिनों आनंद गिरि के वकील विजय कुमार द्विवेदी ने जेल प्रशासन पर हत्या की धमकी देने का आरोप लगाते हुए अधिकारियों से लेकर शासन तक शिकायत की थी। इस बीच आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई भी जारी है। नैनी जेल प्रशासन को गुरुवार देर रात जेल ट्रांसफर का आदेश मिला जिसके बाद भोर में आनंद गिरि को इसकी जानकारी दी गई। आनंद गिरि ने स्नान ध्यान और पूजा कर ली तो पूरी तैयारी के साथ सुबह आनंद गिरि को वज्र वाहन में पुलिस की सुरक्षा के बीच चित्रकूट जेल के लिए रवाना किया गया। आनंद गिरि के वकील विजय द्विवेदी ने कहा कि जेल प्रशासन पर उत्पीड़न और धमकाने का आरोप लगाया गया तो जेल अधिकारियों पर एक्शन लेने की बजाय संत को ही दूसरी जेल भेजा गया है। यह सरासर गलत है। जिलाधिकारी प्रयागराज संजय खत्री ने बताया कि आनंद गिरि को अपर मुखय सचिव (गृह) के आदेश पर नैनी से चित्रकूट जेल स्थानांतरित किया गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि पिछले साल 20 सितंबर की शाम अल्लापुर स्थित श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी के अतिथि कक्ष में मृत मिले थे। उनका शव पंखे में बंधी रस्सी के फंदे से लटका मिला था। सेवादारों ने धक्का देकर दरवाजा खोलने के बाद रस्सी काटकर उनका शरीर फंदे से उतारा था। पुलिस को कमरे में कई पन्ने का सुसाइड नोट मिला था जिसमें नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए पुराने शिष्य आनंद गिरि, मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी तथा उसके बेटे संदीप तिवारी को दोषी ठहराया था। सुसाइड नोट में आत्महत्या करने के लिए आनंद द्वारा तैयार किसी वीडियो का जिक्र किया था। पुलिस ने उसी रात मुकदमा लिखकर आनंद को हरिद्वार से हिरासत में लिया था। बाद में सीबीआइ ने रिमांड पर लेकर कई दिन तक पूछताछ के बाद आनंद को जेल भेज दिया था। हाल ही में इस मुकदमे के वादी अमर गिरि ने हलफनामा देकर केस से अपना नाम वापस लेने की मांग की है। अमर गिरि का कहना है कि उन्हें मुकदमेबाजी के चक्कर में नहीं पड़ना है।

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