मांडा, प्रयागराज (शशिभूषण द्विवेदी)। गोदाम से ले जाने के बजाय कोटेदारों की दुकानों तक खाद्यान्न पहुंचाने का सरकारी फरमान कोटेदारों और राशनकार्ड धारकों के लिए सिरदर्द बन गया है। वितरण के आखिरी दिन तक मांडा क्षेत्र के केवल बीस प्रतिशत कोटेदारों तक सरकारी खाद्यान्न ठेकेदार पहुंचा पाये ।
मांडा क्षेत्र में नगर पंचायत भारतगंज सहित कुल 57 कोटेदार हैं। अगस्त माह से नयी व्यवस्था के तहत कोटेदारों को गोदाम से खाद्यान्न मिलने के बजाय ठेकेदारों द्वारा दुकान तक पहुंचाने का आदेश दिया गया । इस व्यवस्था से कोटेदारों में खुशी थी कि अब उनको गोदाम पर लाइन लगाने, वाहन शुल्क, पल्लेदारी आदि देने से मुक्ति मिल जाएगी । हर महीने में दो बार खाद्यान्न उठान और वितरण होता है । जुलाई प्रथम पक्ष का खाद्यान्न वितरण की आखिरी तारीख 31 अगस्त तक सभी कोटेदारों के पास ठेकेदार खाद्यान्न नहीं पहुंचा पाये । अभी तक मांडा क्षेत्र के 57 में केवल 13 कोटेदारों की दुकानों तक ठेकेदार खाद्यान्न पहुंचा पाये हैं, जबकि सभी कोटेदारों द्वारा खाद्यान्न की धनराशि 15 अगस्त के पहले ही कोषागार में जमा की जा चुकी है । मंगलवार को गोदाम मांडा में नया आदेश आया कि जिन कोटेदारों की दुकानों तक ठेकेदार खाद्यान्न नहीं पहुंचा पाये हैं, उन्हें गोदाम पर बुलवाकर खाद्यान्न दिया जाये । कोटेदारों में चिंता व्याप्त है कि अब गोदाम से खाद्यान्न उठाने पर उनको खाद्यान्न ले जाने का वाहन शुल्क, पल्लेदारी आदि अपने जेब से देना होगा । खास तथ्य यह है कि जुलाई का खाद्यान्न जो एक सितंबर से वितरित होना है, उसका दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल के हिसाब से कार्डधारकों को भुगतान करना होगा । कोटेदारों तक खाद्यान्न पहुंचाने की सरकारी व्यवस्था शुरुआती दौर में ही असफल होना, क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, साथ ही गरीब कार्डधारकों में भी विलंब को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है ।