प्रयागराज (राजेश सिंह)। नैनी के महेवा गांव निवासी आशा देवी गुरुवार भोर जगीं तो कमरे में अंधेरा था। बिजली गुल हो गई थी। उन्होंने तख्त से नीचे पैर रखा तो घुटने तक पानी भरा होने का अहसास हुआ। पति शिवमंगल को आवाज लगाई, तो उन्होंने मोबाइल के टार्च से देखा। कमरे में यमुना का पानी लबालब भरा था। कुछ देर बाद उजाला होने पर दोनों कमरे से सामान को बाहर निकालकर ऊंचे स्थान पर चले गए। बताया कि बुधवार की रात जब वे सोए थे, तो यमुना का पानी घर से काफी दूर था। सुबह तक पानी घर में घुस जाएगा इसका अंदाजा नहीं था। मनोज की पत्नी प्रभा देवी ने सुबह दरवाजा खोला तो उनके दरवाजे पर एक फीट से अधिक पानी भरा था। कमरे तक पहुंचने के लिए बनी सीढ़ियां डूबी थीं। शुक्रवार की रात पानी कमरे में घुसने की आशंका से परिवार सुबह से ही सुरक्षित ठौर ढूढ़ने में लगे थे। पप्पू निषाद का परिवार गांव के ऊपरी क्षेत्र में रहने वाले अपने परचित के यहां चले गए। उनका मकान कछार में सबसे आगे हैं। बाढ़ से काफी सामान खराब हो गया। मोनी देवी का मकान चारों ओर से बाढ़ से घिर गया है। घर के सामान को बचाने के लिए सुबह से ही नाव का इंतजार कर रही थी। दोपहर बाद एक परचित के नाव से सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। मकान पर ताला लगा दिया। बताया कि पिछले साल आई बाढ़ के दौरान रात में उनके मकान का ताला किसी ने तोड़ दिया था।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र महेवा मे नही पंहुचा प्रशासनिक अमला
महेवा गांव में बाढ़ का पानी घुसना शुरू हो गया है। पिछले साल यहां की स्थिति काफी खराब थी। बाढ़ से कई परिवार बेघर हो गए थे। उस मंजर की भलिभांति जानकारी होने के बावजूद प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाएं गए हैं। बाढ़ राहत शिविर भी नहीं बनाए गए हैं, जिससे लोग काफी परेशान है। बाढ़ की आशंका से कई परिवार अपने परचितों के यहां रहने के लिए विवश है। ग्रामीणों की माने तो अभी तक कोई अधिकारी गांव में नहीं पहुंचा है। इस बाबत एसडीएम करछना रेनू सिंह से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।