लालापुर, प्रयागराज (मुकेश पाठक/मंगला प्रसाद तिवारी)। मां शिवकुमारी शुक्ला इण्टर कालेज लालापुर प्रयागराज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा समग्र के तत्वाधान में आयोजित प्रथम जिला अभ्यास वर्ग में यमुनापार जिले के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। गंगा और अन्य नदियों को अविरल-निर्मल बनाने के काम में लगे आर एस एस के वरिष्ठ प्रचारक एवं गंगा समग्र के काशी प्रान्त के संगठन मंत्री अम्बरीष ने कहा कि गंगा की निर्मलता के लिए केंद्र सरकार नमामि गंगे के माध्यम से अच्छा प्रयास कर रही है। बड़े-बड़े शहरों से गंगा में गिर रहे गंदे पानी के सीवरेज को रोका गया, घाटों का उद्धार हो रहा है। लेकिन शासकीय कार्य समाज की सहभागिता के बगैर पूरा नहीं होगा।
गंगा और अन्य नदियों को अविरल बनाने के लिए वर्षा जल को धरती की सतह पर रोकना आवश्यक है। नदियों को जीवन देने में तालाबों और वनों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। गंगा को अविरल बनाने के लिए तालाबों और छोटी नदियों को संवारना आवश्यक है। इसके लिए गंगा समग्र समाज के जागरण में जुटेगा। इस अभियान में समाज के जागरण का महत्व भी समझाया गया। इस अवसर पर गंगा समग्र के राष्ट्रीय गंगा आश्रित आयाम प्रमुख अमिताभ उपाध्याय ने कहा कि नगरीकरण की अंधी दौड़ और अविवेकपूर्ण ढंग से भूमिगत जल के दोहन ने गंगा के साथ दूसरी नदियों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया है। गंगा प्रदूषण मुक्त हों। इसका प्रवाह गुणवत्ता युक्त, अविरल और निर्मल हो। यह समाज की भी जिम्मेदारी है, क्योंकि यह उसके अस्तित्व से जुड़ा विषय है। उन्होंने कहा कि अपने घर और खेतों को विषमुक्त करना आवश्यक है। साथ ही वर्षा जल का अधिक से अधिक संचय करने के प्रबंध करने होगे। धरती पर वर्षा जल को रोककर ही छोटी नदियों को जीवन दिया जा सकता है। इसलिए नदियों के जीवन के लिए जल प्लावित तालाबों का होना बहुत महत्वपूर्ण है।
काशी प्रान्त संयोजक राकेश मिश्रा ने कहा कि समाज के हर व्यक्ति को जल तीर्थों के प्रति कर्तव्य को पवित्र भाव से समझना होगा। अगर नदियों की सेहत खराब होगी तो स्वस्थ समाज की कल्पना संभव नहीं है। स्वस्थ समाज के लिए निर्मल जलतीर्थ अपरिहार्य हैं।उन्होंने कहा कि गंगा समग्र का सामाजिक जन जागरण अभियान के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। गंगा समग्र ने गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए संकल्प लिया है। अभ्यास वर्ग में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने कार्यकर्ताओं को तालाबों के रखरखाव के साथ ही निर्माण और प्रबंधन के तरीके बताए। नदियों के किनारे यथासंभव ऐसे पौधे रोपें जाएं जो पर्यावरण अनुकूल हों।
इसमें पीपल, पाकड़, गूलर, बरगद, नीम अमलतास आदि के पौधे लगने के सुझाव दिये गए। सनातन धर्म में गंगा मोक्षदायिनी कही गई है, इसके जल को दूषित कर प्रभाव कम करना मानव जाति द्वारा तैयार वह समस्या है जो आज बड़े संकट के रूप में हमारे सामने है।उन्होंने कहा कि गंगा जीवन का आधार ही नहीं, भारत की अर्थव्यवस्था है, लेकिन आज नदियों का भी अपहरण हो गया है, जिसके प्रतिफल में गंगा को बचाने के लिए सबको सामने आना होगा। गंगा समग्र इसके लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन जब तक सरकार और समाज दोनों मिलकर सामने प्रयास नहीं करेंगे तो यह कार्य नहीं हो सकेगा। प्रशिक्षण दिया गया है कि सरकार और समाज के प्रयास से कार्य को धरातल पर कैसे लाया जाए । गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाए रखने के साथ-साथ गंगा घाटों पर आरती करने पर भी बल दिया गया है, जिससे मोक्षदायिनी गंगा के प्रति आस्था के साथ लोग अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार कर कर्तव्य करें। गंगा समग्र गंगा को पुराने स्वरूप में लाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। सब नदी का पानी गंगा में ही आता है, गंगा नदी के किनारे खेती में रसायन का उपयोग होने से नाइट्रोजन और फास्फोरस जब नदी में आता है तो जलीय पौधे का विकास होता है। लेकिन इसके सड़ने से जीव नष्ट होते हैं, इसलिए जैविक खेती पर बल दिया जा रहा है। जैविक खेती होने से गंगा में रहने वाले जीवों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। गंगा सेवकों का यह दायित्व बनता है कि गंगा किनारे बसे गांव के किसानों के बीच जाकर जैविक खेती के लिए जागरूकता का काम करें। अंग्रेज जब भारत आए थे तो उन्होंने पूजनीय गंगा के जल से कारखाना और खेती शुरू की।
अभ्यास वर्ग के समापन पर कार्यक्रम के संयोजक विद्यालय के प्रबन्धक विवेक शुक्ला के द्वारा प्रान्त संगठन मंत्री अम्बरीष एवं राष्ट्रीय आयाम प्रमुख अमिताभ उपाध्याय और काशी प्रान्त के संयोजक राकेश मिश्रा एवं जिला संयोजक अनिल पांडे को अंगवस्त्रम व मां शारदा मैहर की चुनरी और गुरु मां शारदे की छवि भेंट कर सम्मानित किया गया। सभी आगंतुकों के भोजन प्रसाद के पश्चात अभ्यास वर्ग का समापन हुआ।
जिले भर से आए सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को आरती, घाट, शिक्षण संस्थान, सहायक नदियों, तालाब, जल निकास, पौधरोपण, जैविक खेती और संघटन निर्माण , गंगा आश्रित, सम्पर्क, युवावाहिनी, गंगासेविका आदि आयामों के बारे में विस्तारपूर्वक एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। अभ्यास वर्ग में जिला संयोजक अनिल पाण्डेय, जिला सह संयोजक विवेक शुक्ला, जिला सह संयोजक संदीप द्विवेदी, सह संयोजक हिमांशु शुक्ला, सहायक नदी प्रमुख गिरीश मिश्रा, सरोवर प्रमुख महेश पाण्डेय, विधि प्रमुख प्रदीप द्विवेदी, घाट प्रमुख भूपेन्द्र पाठक एवं मीडिया संयोजक मुकेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र पांडे, विशाल मिश्रा, बलराम शुक्ला, हरिकांत शुक्ला, दुर्गेश शुक्ला, एडवोकेट शिवानंद शुक्ला, सीलू चतुर्वेदी, सुनील त्रिपाठी एडवोकेट, सुभाष उपाध्याय, डब्बू उपाध्याय, अरूण पाण्डेय, सुमेश शुक्ला समेत सभी अपेक्षित पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।