प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज शहर में फैले डेंगू के प्रकोप पर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों पर असंतोष जाहिर किया और कहा जमीनी हकीकत बताये गये कदमों से बिल्कुल विपरीत है। कहीं कुछ प्रतिरोधक उपाय होता दिखाई नहीं दे रहा जबकि नगर निगम के अधिवक्ता एस डी कौटिल्य ने आशंका जताई कि फागिंग तो की जा रही है मगर कोई असर नहीं हो रहा है। लगता है डेंगू नहीं कुछ और बीमारी है जो फेफड़े, हृदय, लीवर, किडनी तक प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने सभी जिम्मेदार अधिकारियों को चार नवंबर को सुनवाई के समय हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है।
पिछली तारीख पर कोर्ट ने चकबंदी अधिकारी की तैनाती को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया था और कहा था कि चकबंदी अधिकारी अब डॉक्टरों का भी काम करेंगे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके ओझा का कहना था श्मशान घाट से रिपोर्ट मंगा ली जाए तो पता चल जाएगा कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। आंकड़ा मिल जायेगा।
इस पर कोर्ट ने कहा कि शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। उठाये गये कदमों की अपेक्षा ग्राउंड रियलिटी अलग है। डाटा नहीं ग्राउंड रियलिटी देखें। याची अधिवक्ता ने कहा कि नगर निगम जाड़े का इंतजार कर रहा कि शायद जाड़े में खत्म हो जाय। फागिंग नहीं हो रही। निगम के अधिवक्ता ने कहा कि जनता का सहयोग नहीं मिल रहा।
कोर्ट ने कहा निगम की ड्यूटी है कि वह नगर साफ सुथरा रखें। टेस्टिंग नहीं प्रिवेंटिव उपाय चाहिए। ओझा ने कहा सात वकीलों की डेंगू से मौत हो चुकी है। 100 वकील बीमार है। उनके पाश इलाके में फागिंग नहीं की गई है।जहां जजों की कालोनी है। कोर्ट ने कहा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। शुक्रवार को संबंधित अधिकारी हाजिर रहे। सुनवाई 4 नवंबर को होगी।