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69 हजार शिक्षक भर्ती मामला : एक नंबर से चूके अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

SV News

हाईकोर्ट ने नियुक्ति पर विचार करने के दिए निर्देश

प्रयागराज (राजेश सिंह)। उत्तर प्रदेश की सबसे विवादित शिक्षक भर्ती मानी जाने वाली 69000 शिक्षक भर्ती में एक प्रश्न के गलत उत्तर होने का विवाद अब सुलझता नजर आ रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को हुई सुनवाई के बाद उन अभ्यर्थियों को राहत मिल सकती है, जो इस भर्ती में एक नंबर कम होने की वजह से नियुक्ति से वंचित रह गए थे। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने पीएनपी सचिव को नियुक्ति पर विचार करने के लिए दो महीने का समय दिया गया है।
साल 2019 के पहले महीने की 6 तारीख का आयोजित 69000 शिक्षक भर्ती की परीक्षा में एक प्रश्न था, ‘शैक्षिक प्रशासन उपयुक्त विद्यार्थियों को उपयुक्त शिक्षकों द्वारा समुचित शिक्षा प्राप्त करने योग्य बनाता है, जिससे वे उपलब्ध अधिक साधनों का उपयोग करके अपने प्रशिक्षण से सर्वोत्तम को प्राप्त करने में समर्थ हो सकें’। इस प्रश्न के उत्तर के लिए चार विकल्प ‘(1) एसएन मुखर्जी द्वारा (2) कैम्बेल द्वारा (3) वेलफेयर ग्राह्म द्वारा (4) डा. आत्मानंद मिश्रा द्वारा’ दिए गए थे। बोर्ड ने विकल्प तीन को सही माना था।
इसी प्रश्न को लेकर आपत्ति जताई गई थी और अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दर्ज कर दी थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 अगस्त 2021 प्रश्न के चारों उत्तरों को गलत माना और आदेश दिया कि एक नंबर से फेल अभ्यर्थियों का पुनर्मूल्यांकन कर नियुक्ति दी जाए।
हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी लेकिन वहां उसकी विशेष अपील नौ नवंबर 2022 को खारिज हो चुकी है। इसके बाद बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) सचिव को 69000 शिक्षक भर्ती मामले में 25 अगस्त 2021 को दिए गए आदेश का अनुपालन करने के लिए दो महीने का अतिरिक्त समय दिया है। 
न्यायमूर्ति रोहित रंजन की अदालत में बुधवार को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए शपथ पत्र दाखिल किया। इस पर न्यायालय ने 25 अगस्त 2021 के अपने आदेश का अनुपालन करने के लिए दो माह का अतिरिक्त समय दिया। प्रकरण में अगली सुनवाई 9 फरवरी 2023 को होगी। 
गौरतलब है कि अभ्यर्थियों ने उत्तर कुंजी में एक प्रश्न के उत्तर को लेकर आपत्ति जताई थी। हाई कोर्ट ने चारों विकल्प को गलत माना था और एक अंक देकर मेरिट के अनुसार याचीगण की नियुक्ति पर विचार का निर्देश दिया था। इस भर्ती में एक अंक नहीं दिए जाने से करीब एक हजार अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए थे।

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