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प्रदोष व्रत 2022: बेहद खास संयोगों में पड़ रहा है साल का आखिरी प्रदोष व्रत, मनचाहे फल की होगी प्राप्ति

 

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पंचांग के अनुसार इस महीने की मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं। दोनों ही शुभ योग यानी सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग में आ रहे हैं और दोनों ही एक ही समय पर लगेंगे..

पंचांग के अनुसार इस महीने की मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं। दोनों ही शुभ योग यानी सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग में आ रहे हैं और दोनों ही एक ही समय पर लगेंगे।
हर महीने दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं और इस महीना यानी दिसंबर का एक प्रदोष व्रत निकल चुका है। अब महीने और साल 2022 का आखिरी प्रदोष व्रत 21 दिसंबर को पड़ने वाला है, जो बेहद खास माना जा रहा है। पंडित जी के अनुसार इस दिन बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं जिससे भ गवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने पर जल्द मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है। ज्योतिषाचार्य पंडित कमला शंकर उपाध्याय ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस महीने की मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं। दोनों ही शुभ योग यानी सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृतसिद्धि योग में आ रहे हैं और दोनों ही एक ही समय पर लगेंगे। तो आइए आपको इसकी पूजन विधि और शुभ मुहूर्त बताएं।

*पूजा का शुभ मुहूर्त और शुभ योग*
किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। जिसे प्रदोष काल कहते हैं। वहीं 21 दिसंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग सुबह 08 बजकर 33 मिनट से लगेगा जो कि अगले दिन यानी 22 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक रहने वाले हैं।
पूजा-पाठ के लिए ये दोनों की योग बहुत शुभ माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार अगर सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा-पाठ किया जाता है तो उसका दोगुना फल मनुष्य को प्राप्त होता है औऱ वहीं अगर अमृत सिद्धि योग में व्रत व पूजा की जाए तो मनुष्य को उसका अमृत के समान फल प्राप्त होता है।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
साल का आखिरी प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है। इसलिए इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा। बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती व भगवान गणेश की पूजा करना चाहिए। इस व्रत को करने से जातक के जीवन में धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और धन की वृद्धि होती है।
*प्रदोष व्रत विधि*
प्रदोष व्रत में शिवलिंग का बेलपत्र से श्रृंगार करें और प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय आटे का पांच मुखी घी का दीपक जलाएं और इस मंत्र का जाप करें - 'करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं । विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ।।' इससे समस्त पापों का नाश होता है।

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