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कमिश्नरेट में मिले अधिकारों से बनाएंगे सुरक्षित माहौल, ज्यादा जिम्मेदार होगी पुलिस : कमिश्नर रमित शर्मा

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हो चुकी है और इसके बारे में बहुत कुछ-सुना और पढ़ा जा चुका है। लेकिन अब भी इसे लेकर कई सवाल लोगों के मन में उमड़ रहे हैं। इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए अमर उजाला ने प्रयागराज के नए पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा से विस्तार से बात की। उनका कहना है कि कमिश्नरेट प्रणाली में पुलिस को जो अधिकार मिले हैं, उनके जरिये लोगों को सुरक्षित माहौल प्रदान करना उनका मुख्य उद्देश्य है। साथ ही यह भी कहा कि अधिकार मिलने से पुलिस समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के पालन को लेकर और जिम्मेदार बनेगी। 

कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस के लिए क्या है मुख्य चुनौती

कमिश्नरेट प्रणाली लागू करने का उद्देश्य है कि समाज में पुलिस के प्रति विश्वास और बढ़े। लोग सुरक्षित होने का अहसास करें। पुलिस ज्यादा तत्परता से समाज को भयमुक्त करने के लिए कार्य कर सके। फिलहाल चुनौती यही है कि आम लोगों में कमिश्नरेट की साख स्थापित की जाए। ताकि इसकी स्थापना के उद्देश्यों को पाया जा सके। 
अफसरों की संख्या बढ़ेगी लेकिन अब भी पुलिसिंग की आधार इकाई थानेदार, दरोगा व सिपाही ही होंगे। ऐसे में पुलिसिंग में क्या बदलाव आएगा।
अफसरों की संख्या बढ़ेगी तो पर्यवेक्षण के स्तर में भी सुधार होगा। थाने, चौकियों पर होने वाले कार्य का पर्यवेक्षण अब कई स्तरों पर हो सकेगा। एसीपी के बाद आईपीएस अफसर मॉनिटरिंग करेंगे। त्वरित निर्णय लेने में भी आसानी होगी। ऐसे में पर्यवेक्षण बढ़ने से नि:संदेह पुलिसिंग में सुधार होगा। एक-एक शख्स की जिम्मेदारी तय होगी तो वह अपने कार्यों को लेकर भी पूरी तरह से सजगता बरतेगा।
मजीस्टिीरियल शक्तियां मिलने के बाद एक आशंका यह भी है कि पुलिस मनमाना कार्रवाई करेगी, इस पर आपका क्या कहना है। 
जब शक्तियां मिलती हैं तो उसी के अनुसार जिम्मेदारी भी बढ़ती है। यहां भी ऐसा ही है। प्रक्रिया के साथ-साथ कार्रवाई का भी अधिकार मिला है तो निश्चित ही पुलिस और जिम्मेदार बनेगी। ऐसे में मनमाना कार्रवाई का तो सवाल ही नहीं उठता। एक और बात यह है कि जहां कमिश्नरेट प्रणाली पहले से लागू है, वहां क्या ऐसी कोई शिकायत कभी सामने आई। मेरा यही कहना है कि यह आशंकाएं गलत हैं और यह वही लोग फैला रहे हैं जो कानून का उल्लंघन करने वाले हैं और उन्हें खुद पर कार्रवाई का डर है। 
एक आम नागरिक की तरह बात की जाए तो कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने से उसे क्या फायदा होगा। 
कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने का सबसे बड़ा फायदा आम नागरिक को ही है। भयमुक्त समाज की स्थापना और सुरक्षित माहौल मिलने के अलावा कई सुविधाएं एकीकृत होने का फायदा भी उसे ही मिलेगा। एक छोटा सा उदाहरण यह है कि अभी जुलूस, कार्यक्रम, प्रदर्शन की अनुमति के लिए उसे अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। जबकि कमिश्नरेट प्रणाली में एसीपी कार्यालय से ही उसका काम हो जाएगा। 
इसके लिए दो तरह से काम किया जाएगा। पहली बात तो यह है कि साइबर अपराध से बचने के लिए लोगों का खुद जागरूक होना बहुत जरूरी है। इसे ऐसे समझिए कि साइबर अपराधी आपको निशाना बनाने के लिए आपकी चूक को ही हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं। मसलन ओटीपी, खाते संबंधी विवरण या अन्य संवेदनशील जानकारियां आप ही साझा करते हैं। ऐसे में जागरूकता बहुत जरूरी है। दूसरी बात यह है कि ट्रेनिंग, कार्यशाला आदि से पुलिसकर्मियों को और दक्ष बनाया जाएगा ताकि वह गुणवत्तापूर्ण ढंग से साइबर अपराध के मामलों का निस्तारण कर सकें। 

अपने नए सीपी के बारे में यह भी जानिए

0 इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, 1992 में आईआईटी-जेईई में देश भर में 21वीं रैंक हासिल की। 
0 उत्कृष्ट सेवा के लिए डीजीपी कमेंडेशन डिस्क (तीनों श्रेणियों) के साथ 2015 में प्रेसीडेंट पुलिस मेडल। 
0 विश्व बैंक की ओर से साउथ कोरिया में आयोजित ‘बिल्डिंग लीडर्स इन अर्बन ट्रांसपोर्ट एंड प्लानिंग’ में प्रशिक्षण। 
0 ‘यूजिंग सोशल मीडिया फॉर इंटेलिजेंस कलेक्शन’ विषय पर रिसर्च पेपर भी तैयार किया। 
(मुरादाबाद में तैनाती के दौरान संभल में पेशी पर जाते वक्त दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर मुल्जिमों के फरार होने के बाद यह रिसर्च पेपर तैयार किया था।)

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