प्रयागराज (राजेश सिंह)। इवेंजलिकल चर्च आफ इंडिया (ईसीआइ) में मतांतरण के मामले की जांच के दौरान साफ हुआ है कि प्रयागराज स्थित एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट (डीम्ड विश्वविद्यालय) शुआट्स में मतांतरण का खेल काफी पहले से चल रहा है। संस्थान के पूर्व छात्र ने रविवार को पुलिस को इससे जुड़ी कई बातें बताने के साथ ही कई फोटो भी उपलब्ध कराई हैं।
हरिहरगंज स्थित ईसीआइ में 15 अप्रैल 2022 में मतांतरण की शिकायत सामने आई थी। इसके बाद पुलिस ने 56 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था और पादरी समेत 14 लोग जेल भेजे गए थे। पुलिस मामले की जांच में लगी है। इसी कड़ी में रविवार को प्रयागराज के रामबाग में रहने वाले दिनेश शुक्ला कोतवाली पहुंचे। उन्होंने बताया कि उन्होंने शुआट्स में वर्ष 2012 से वर्ष 2014 के बीच मास कम्युनिकेशन का कोर्स किया था।
संस्थान का कैंपस लगभग 500 बीघा क्षेत्रफल में है। यहां यीशु दरबार व धार्मिक कुंड (बपतिस्मा) भी बना है जहां पर पढ़ने वाले छात्रों को भी ले जाया जाता था। यहां अक्सर भीड़ जुटती थी और लोगों का मतांतरण कराया जाता था। मतांतरण करने वालों को धार्मिक कुंड में स्नान कराया जाता था और इसके बाद नाम बदल दिया जाता था। नए तथ्य सामने आने के बाद पुलिस ने अब दिनेश शुक्ला को सरकारी स्वतंत्र गवाह बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
शुआट्स सोसाइटी बोर्ड के सदस्य आइजेक फ्रेंक ने पिछले दिनों दावा किया था कि संस्थान के वाइस चांसलर आरबी लाल ने मिशनरी को खतरे में बताकर अमेरिका और कनाडा से फंड मंगाया था। पाकिस्तान से भी ईमेल के जरिये मदद मांगी गई थी।
हालांकि शुआट्स के प्रवक्ता रमाकांत दुबे ने बताया था कि फ्रेंक को निष्कासित किया जा चुका है, इसलिए वह अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। रविवार को उन्होंने बताया कि दिनेश शुक्ला मास कम्युनिकेशन में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद की नौकरी मांग रहे थे, लेकिन योग्यता न होने पर उन्हें पद नहीं दिया गया। इसी वजह से वह आइजेक फ्रैंक के साथ मिलकर ब्लैकमेलिंग पर उतारू हैं। मतांतरण के आरोपों में तनिक भी सत्यता नहीं है।