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प्रयागराज: केन्द्रीय कारागार नैनी अस्पताल के सीएमओ गिरफ्तार

SV News

कैदी मरीज की शह पर मंगवाई 25 लाख की रंगदारी, तीन अन्य सहयोगी भी शामिल

प्रयागराज (राजेश सिंह)। सेंट्रल जेल नैनी हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी से 25 लाख रुपए की रंगदारी का मामला पलट गया है। पुलिस ने मुकदमा वादी चिकित्सक को ही धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार कर लिया है। उसके साथ नैनी सेंट्रल जेल में बंद फ्रॉड के आरोपी के बेटे समेत तीन अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।
रंगदारी के इस प्रकरण में डॉक्टर ने अपराधी की शह पर पूरी प्लानिंग के तहत धमकी से लेकर एफ आई आर की प्रक्रिया की थी लेकिन पुलिस की छानबीन में सब कुछ सामने आ गया और सारी योजना धरी की धरी रह गई। कल तक जिस जेल के कैदियों का डॉ. विवेक सिंघल इलाज कर रहे थे, आज उन्हीं के बीच कैदी के रूप में पहुंच गए हैं। हैरानी वाली बात यह है कि जिस जेल में वह तैनात थे, उसी जेल में बंद अपराधी की शह पर ये फ्राड किया और उल्टा फंस गए।

नैनी कोतवाली पुलिस ने 31 दिसंबर 2022 को दर्ज कराए गए रंगदारी के मुकदमे जांच में मोबाइल नंबर 63 8959 9636 का सीडीआर निकलवाया। के बाद जिस हैंडसेट में वह सिम लगाया गया था। उसकी इएमआई नंबर के जरिए खरीदार का पता किया गया। बस यही से पुलिस को एक छोटा सा लिंक मिला। जो कड़ी से कड़ी जोड़ता हुआ सीधे मुकदमा वादी विवेक सिंघल पुत्र दीनदयाल सिंघल तक पहुंच गया। पुलिस ने इस प्रकरण में सबसे पहले सिम एजेंट अजय कुमार गौर निवासी सर सुंदर लाल छात्रावास सर्वेंट कॉलोनी, यूनिवर्सिटी रोड, कटरा, कर्नलगंज, प्रयागराज मूल निवासी जलालपुर, बहरिया को गिरफ्तार किया। उसके जरिए सिम खरीददार अंजनी दुबे निवासी सिंगारो, औता, मेजा, प्रयागराज, हाल पता 12 खंभा, कीडगंज, प्रयागराज और इस घटना को मूर्त रूप देने वाले मुख्य आरोपी कार्तिकेय त्रिपाठी निवासी पन्नालाल रोड, जॉर्जटाउन, प्रयागराज को पकड़ा गया। इनके साथ दिव्यांशु शुक्ला का भी नाम आया है जिसने फोन पर डॉक्टर विवेक सिंघल को धमकी दी है जिसकी अभी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। इन्हीं चारों के बयान के आधार पर पुलिस ने डॉ विवेक सिंघल पुत्र दीनदयाल सिंघल निवासी चक रघुनाथ, मिर्जापुर रोड, नैनी, प्रयागराज को भी गिरफ्तार किया।

गिरफ्तारी के बाद चारों लोगों के पास से 7 मोबाइल हैंडसेट बरामद किए गए। फोन कर धमकी देने वाला दिव्यांशु शुक्ला, अजय गौर और अंजनी दुबे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र हैं। हालाकि इनका आपराधिक रिकॉर्ड भी है, जो कार्तिकेय त्रिपाठी के मित्रता की संगत में आने पर हुआ।
एसीपी करछना अजीत सिंह चौहान ने बताया कि डॉक्टर विवेक सिंघल का इगो हर्ट हो गया था जिसकी वजह से उन्होंने फ्लैट खरीददार रामचंद्र केशरवानी के खिलाफ रंगदारी का मुकदमा लिखाने की यह साजिश रची थी पूछताछ में उन्होंने बताया कि क्षेत्र के दबाव स्थित रुद्रा एनक्लेव में स्थित अपने फ्लैट को उन्होंने रामचंद्र केशरवानी के पक्ष में 9 दिसंबर को बैनामा किया था लेकिन उन्होंने फ्लैट का मेंटेनेंस चार्ज जो एक लाख 19 हजार रुपए था, नहीं दिया था। रामचंद्र केसरवानी ने पहले डॉक्टर से मेंटेनेंस चार्ज वापस करने के लिए कहा। लेकिन वह नहीं माने तो उसने मामा भांजा पुलिस चौकी में उनके खिलाफ शिकायती पत्र दे दिया। जिससे खफा होकर डॉ. विवेक सिंघल ने रामचंद्र केशरवानी को सबक सिखाने की योजना बनाई।
जिसमें उनका सहयोग नैनी सेंट्रल जेल में फ्रॉड के मुकदमे में बंद राजेश तिवारी निवासी कीडगंज जो कि गिरफ्तार आरोपी कार्तिकेय त्रिपाठी का पिता है, का सहयोग लिया। राजेश तिवारी जेल में बीमार रहता है। उसका इलाज डॉ. विवेक सिंघल करते हैं। कार्तिकेय पिता से अपने मिलने आता जाता रहता था। जिससे डॉ विवेक सिंघल की भी पहचान हो गई थी। राजेश तिवारी की शह पर ही डॉ. विवेक ने फ्रॉड की योजना बनाई और उसी में फंस गए।

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