प्रयागराज (राजेश सिंह)। नैनी स्थित शुआट्स में वीसी आरबी लाल ने अपने भाइयों व अन्य करीबियों संग मिलकर रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी। चहेतों को मनमाफिक ओहदे पर तैनाती दे दी। खास बात यह कि उनके कृपापात्रों में कई बड़े अफसर भी शामिल रहे। शासन में पदस्थ ऐसे ही एक अफसर के भाई व भाभी की नियुक्ति भी जांच के दायरे में है। सूत्रों का कहना है कि शुआट्स में वीसी आरबी लाल एंड कंपनी ने अपने चहेतों को तो नौकरी दी ही। सगे-संबंधियों को मनमाफिक तैनाती देकर कई रसूखदारों को भी उपकृत किया। इनमें राजनीतिक शख्सियतों, धर्माचार्यों के साथ ही बड़े अफसर भी शामिल हैं।
इसी कड़ी में शासन में उच्चपदस्थ एक अफसर भी शामिल हैं। उनके सगे भाई व भाभी संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। सूत्रों का कहना है कि यह तैनाती उसी अवधि में हुई, जिसमें हुई 69 नियुक्तियां जांच के दायरे में हैं। यानी यह नियुक्ति 1984 से लेकर 2017 के बीच की गईं। इसी तरह एक धर्माचार्य के करीबी युवती की नियुक्ति भी जांच एजेंसियों के रडार पर है। कॉमर्स विभाग में यह नियुक्ति टीचिंग असिस्टेंट के रूप में हुई। इसके अलावा भी कई नियुक्तियां रसूखदारों के कहने पर की गईं।
अब यह जांच का विषय है कि लाल बंधुओं ने जिनके कहने पर नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियां कीं, उसके एवज में क्या उन्होंनेे संबंधितों से कभी कोई लाभ लिया या नहीं। हालांकि जानकारों का कहना है कि निष्पक्ष तरीके से जांच हुई तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। जिनमें कई चेहरों के नकाब उतर सकते हैं।
उधर शुआट्स अफसरों व कर्मचारियों पर मुकदजे दर्ज होने के बाद शुक्रवार को इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम एसटीएफ दफ्तर पहुंची। टीम ने मुकदमों के संबंध में जानकारी तो ली ही, शुआट्स से जुड़े दो पूर्व के मामलों के बारे में भी जानकारी जुटाई। गौरतलब है कि 2017 में एक्सिस बैंक में शुआट्स के खातों से 23 करोड़ के गबन का मामला सामने आया था। सिविल लाइंस थाने में दर्ज इस मामले की जांच पुलिस के बाद एसआईटी ने की थी। जबकि बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। इसी तरह 2019 में मृत लोगों के नाम से याचिकाएं दायर करने का एक मामला सामने आया था। इस प्रकरण में कैंट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। आरोप है कि कोर्ट में मृत व फर्जी नाम-पते पर याचिकाएं दाखिल की गईं। इस मामले की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई है।