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भाईचारे व आपसी सौहार्द का प्रतीक है होली का त्योहार -नीलम

 ब्लाक परिसर मेजा में प्रमुख के नेतृत्व में होली मिलन समारोह आयोजित




मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

हमारे देश के प्राय: सभी त्योहार  हर्ष और उल्लास का  संदेश देते हैं,लेकिन रंगो का त्योहार होली ऐसा पर्व है जो आपसी सौहार्द,समरसता,भाईचारा और प्रेम का सीख देता है। उक्त बातें पूर्व विधायक मेजा श्रीमती नीलम करवरिया ने रविवार को ब्लाक परिसर मेजा में आयोजित भव्य होली मिलन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि हमें सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा इस त्योहार से मिलती है। कार्यक्रम के माध्यम से पारंपरिक होली गीत देखने एवं सुनने को मिलता है।

अध्यक्षता कर रही ब्लाक प्रमुख मेजा श्रीमती गायत्री मिश्रा ने कहा कि होली सिर्फ एक प्रेम और रंगों का त्यौहार नहीं बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। मंचासीन नमामि गंगे के जिला संयोजक अमरेश तिवारी ने कहा कि यह पर्व हमें आपस में जोड़ता है। इसमें लोग अपने सभी मतभेदों को भुलाकर आपसी सौहार्द और सहयोग बढ़ाने का काम करते है। साथ ही कहा कि सभी लोग एक दूसरे के साथ आपसी एकता बनाकर और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में होली मनायें।वरिष्ठ समाजसेवी नित्यानंद उपाध्याय ने कहा कि होली पर्व पूरे देश में परंपरा, हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। होली पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पूर्व प्रधान नेवादा वाणिपति तिवारी ने कहा होली पर्व हमारे देश में उपस्थित बहुसांस्कृतिक समाज के जीवंत रंगों का प्रतीक है।प्रधान संघ जिलाध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी ने कहा होली पर्व देश में हमारी संस्कृति और सभ्यता के मूल सहिष्णुता और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देने वाला पर्व है।प्रधान संघ प्रदेश सचिव पप्पू काजी ने कहा कि

 

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होली हमें अनेकता में एकता का संदेश देती है।कार्यक्रम के संयोजक प्रमुख प्रतिनिधि मेजा गंगाप्रसाद मिश्र ने होली परम्परा को विस्तार रूप देते हुए कहा कि होली पर्व भारत में परंपरागत रूप से 2 दिन मनाया जाता है। पहले दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पूजा की होली मनाई जाती है। इस दिन होलिकादहन होता है। इस दिन गोबर के उपलों या लकड़ियों से जगह-जगह होली रखी जाती है। सभी लोग प्राचीन परंपराओं के अनुसार होली को पूजते हैं और रात में होलिकादहन होता है। जलती हुई होली के चारों ओर लोग परिक्रमा करते हैं तथा अपने और अपनों के लिए मनौतियां मांगते हैं। होलिकादहन के दिन जलती हुई होली में गेहूं की बाली को भूनकर खाने की परंपरा है।

 उन्होंने कहा कि होली के दूसरे दिन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को खेलने वाली होली मनाई जाती है।इस दिन लोग एक-दूसरे को सुबह उठकर गुलाल लगाने जाते हैं। इस दिन छोटे अपने बड़ों से गुलाल लगाकर आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं और पारंपरिक रूप से होली मनाते हैं। इस दिन घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाया जाता है और होली के गीत भी टोली द्वारा गया जाता है।हालाकि उन्होंने विलुप्त हो रहे फगुवा गीत,बेलवारिया,चौमासा पर चिंता व्यक्त किया।इससे पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि श्री मिश्र ने कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों व क्षेत्र पंचायत सदस्यों का माल्यार्पण व अबीर गुलाल लगाकर स्वागत करते हुए होली के उपहार भी भेंट किए।कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान संघ के जिला प्रभारी प्रधान गड़ेवरा अनिल शुक्ल ने कार्यक्रम के दौरान होली परम्परा से जुड़ी बातें उपस्थित दर्शकों को बताते रहे।इस मौके पर प्रमुख रूप से संजय तिवारी,राजन मिश्र,हीरालाल दुबे,राहुल मिश्र,राकेश तिवारी,धीरज दुबे,जितेंद्र शुक्ला,राजीव तिवारी,मनीष पांडेय,विकास शुक्ला,सोनू शुक्ला,ज्योति सिंह सहित समस्त क्षेत्र पंचायत सदस्य और भारी संख्या में गणमान्य मौजूद रहे।

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