मेजा,प्रयागराज। (हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
अचानक अधिक गर्मी के बाद मौसम में बदलाव के कारण आम की फसल को नुकसान की आशंका बढ़ गई है। वातावरण में नमी आने के कारण रोग की आशंका बढ़ गई है। इस मौसम में आम के बौर लाशा ग्रस्त हो सकते हैं। बौर खराब होने से आम के पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है,जिससे आम की खेती करने वाले किसानों के माथे पर लकीरें खिंच गई हैं।
मेजा स्थित आम की खेती करने वाले किसान लालजी सोनकर ने बताया कि इस बार आम के पेड़ों पर बहुत अच्छी बौर आई है। बौर निकलने से लेकर फल लगने तक का समय संवेदनशील होता है। इस समय भुनगा और खर्रा रोग से बचाना जरूरी है। अभी सुबह के समय में मौसम में पर्याप्त नमी का असर है। ऐसे में आम की फसल में भुनगा कीट और खर्रा रोग लगने की आशंका अधिक हो गई है।आम की खेती से जीवन यापन करने वाले मेजा के किसान लालजी सोनकर ने बताया कि खर्रा रोग पहले सफेद रंग के चूर्ण की तरह दिखाई देता है, जो बाद में राख जैसा हो जाता है। इसके प्रभाव से बौर सुखकर और छोटे फल पीले होकर गिर जाते हैं। भुनगा कीट कोमल पत्तियों, बौर व छोटे फल से रस चूसकर हानि पहुंचाता है। यह कीट शहद के जैसा चिपचिपा पदार्थ भी छोड़ता है। इससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंदी जम जाती है। उन्होंने आम की खेती करने वाले किसानों व आम के शौकीन को बताया कि खर्रा रोग के उपचार के लिए कापर आक्सी क्लोराइड दो ग्राम दवा एक लीटर पानी में घोलकर आम के पौधे पर छिड़काव कर दें। इससे खर्रा रोग या लाशा रोग से छुटकारा मिल जाएगा। जब आम के फल मटर के दाने के बराबर हो जाए तो नुआन अथवा डेमाक्रान एक मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें। इससे मैंगो हापर कीट मर जाते हैं। जिससे आम की फसल को फ्रूट ड्रापिग होने से बचाया जा सकता है।बता दें कि आम की खेती करने वाले किसान लालजी आम,अमरूद,बैर,पपीता,कटहल के अलावा सब्जी की भी खेती करते हैं।इन्होंने इन्हीं खेती के बल पर अच्छा खासा आमदनी कर एक सुखमय जीवन जी रहे हैं।उनका कहना है कि किसी भी फसल की खेती के लिए मेहनत करनी ही पड़ती है,।इसके अलावा फसलों में लगाने वाले रोगों से बचाव के उपाय भी करने पड़ते हैं।फिलहाल अचानक मौसम में आए परिवर्तन से किसान परेशान हैं।