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सीएचसी मेजा के चिकित्सकों के आवास खंडहर में तब्दील,आवासीय भवन बनाने की दरकार

 


मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)

 विकास खंड मेजा के मेजा खास में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बने चिकित्सकों के आवास खंडहर में तब्दील हो गए हैं। आवास जर्जर होने के कारण चिकित्सक रात में अस्पताल परिसर में निवास नहीं करते और जिला मुख्यालय चले जाते हैं। इससे रात में बीमार पड़ने वालों का इलाज नहीं हो पाता है। सीएचसी परिसर में बने चिकित्सकों के आवास खंडहर में तब्दील हो गए हैं। कीमती खिड़कियां और दरवाजे गायब हैं।दीवारों का प्लास्टर तक टूट चुका है। दीवार के साथ छतों पर घास और पौधे उग आए हैं।सफाई के अभाव में परिसर में गंदगी का अंबार लगा है।बदहाल आवास के कारण चिकित्सकों को रात्रि निवास नहीं कर रहे हैं। 


आवास की मरम्मत को लेकर चिकित्सकों ने आवाज भी उठाई लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। सीएचसी के अधीक्षक डा. ओम प्रकाश ने बताया कि आवास की मरम्मत के लिए उच्चाधिकारियों को कई बार पत्र भेजा गया है, लेकिन अभी तक स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई। धन आवंटित होने पर आवासों की मरम्मत कराई जाएगी।आपको बता दें कि वर्ष 1985 के पूर्व अस्पताल का संचालन तहसील मुख्यालय के पास स्थित पुराने अस्पताल में होता था। इसके बाद करोड़ों रुपये से मेजा पहाड़ी पर तीस शैय्या का आवासीय अस्पताल बनाया गया। आवासीय अस्पताल बनाए जाने के बाद मेजा तहसील मुख्यालय के पास रहे पुराने अस्पताल का संचालन बंद कर डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी नए अस्पताल में चले गए। अस्पताल का संचालन ठीक ठाक होने लगा। उसी बीच वर्ष 1989 में एक रात बदमाश आवासीय भवन में पहुंच कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ छेड़खानी करने लगे। चीख पुकार सुन आवासीय भवन में रहने वाले अन्य स्वास्थ्यकर्मी उसे बचाने के लिए दौड़े तो बदमाशों ने एक स्वास्थ्यकर्मी सहित दो कर्मचारियों पर हमला बोल दिया था।इस घटना में दोनों की मौत हो गई थी।इस घटना के बाद सीएचसी में कार्य करने वाले डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी दहशत में आ गए। 

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अस्पताल का संचालन ठप कर दिया गया। जानकारी पर स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी पहुंच कुछ दिनों के लिए अस्पताल का संचालन पुराने अस्पताल में कर दिया था। स्थिति सामान्य होने पर दोबारा अस्पताल का संचालन मेजा पहाड़ी स्थित सीएचसी में होने लगा। अस्पताल के अधीक्षक ओम प्रकाश, डाक्टर बबलू श्रीवास्तव, डॉ. स्वास्वत सिंह, डॉ. शमीम अख्तर, डॉ. सुरेश चन्द्र सोनकर, डॉ. रेशमा खान ने बताया कि आवासीय भवन न होने से अस्पताल के कर्मचारियों के साथ डाक्टरों को रात रहने में दिक्कते होती हैं। जिससे या तो किराए के मकान में रहते हैं या फिर शहर से आवागमन करते हैं।

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