प्रयागराज (राजेश सिंह)। सालाना 55 करोड़ रुपये अनुदान प्राप्त करने वाली सैम हिंग्गिन बॉटम एजुकेशनल एंड चैरिटेबल सोसाइटी (शुआट्स) लखनऊ के सोसाइटी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत नहीं है। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के निर्देश पर कराई गई जांच में सोसाइटी के स्मृति पत्र, प्रबंध समिति के पंजीयन संबंधी रिकॉर्ड नहीं मिले। इस संस्था के 1977 से 1995 तक के नवीनीकरण में भी जालसाजी की जांच की जा रही है। जबकि, इसी सोसाइटी से सैम हिंग्गिन बॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय संचालित है। शुआट्स दक्षिण एशिया के सबसे पुराने संस्थानों में से एक है। प्रेस वेटिरियन चर्च ऑफ नार्थ अमेरिका के जरिये इलाहाबाद कृषि संस्थान के रूप में डॉ. सैम हिंग्गिन बॉटम ने 1910 में इसकी स्थापना की थी।लखनऊ मंडल के डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स ने प्रयागराज के सहायक रजिस्ट्रार को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि उनके कार्यालय में शुआट्स का पंजीकरण रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। 25 अगस्त 1950 को पंजीकृत बताई जाने वाली शुआट्स की पंजीयन पत्रावली संख्या आई-4076 के क्रम में डिप्टी रजिस्ट्रार ने दो संस्थाओं केे सत्यापित पंजीयन रिकॉर्ड भी रिपोर्ट के साथ शामिल किए हैं। इसमें 22 दिसंबर 1949 को दर्ज पंजीकरण क्रमांक आई-4077 कृषक एजुकेशनल सोसाइटी और क्रमांक संख्या आई-4075 जीतूवापी पाल जूनियर हाईस्कूल नैनीताल की सत्यापित प्रतियां लगाई गई हैं। अभिलेख रजिस्टर में क्रमांक सीरियल आई-4075 और आई-4077 के बीच जहां आई-4077 क्रमांक वाली सोसाइटी शुआट्स को पंजीकृत होना चाहिए, वहां पत्रावली का पंजीयन क्रमांक उपलब्ध नहीं है।
गठन के बाद शुआट्स का पहला नवीनीकरण वर्ष 1977 में हुआ था। इसके बाद प्रत्येक दो वर्ष बाद नवीनीकरण कराया जाता रहा है। लेकिन, 1979, 1981, 1983, 1985, 1990 और 1995 तक के नवीनीकरण की डिस्पैच रजिस्टर में इंट्री नहीं है। इसके सत्यापन के लिए लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज के सोसाइटी रजिस्ट्रार को पत्र भेजा गया है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। लखनऊ के डिप्टी रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के बाद अब सहायक रजिस्ट्रार इस संस्था के पंजीयन को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा-12 डी के तहत निरस्त कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि धर्मांतरण और फर्जी नियुक्तियों के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद इस संस्था के संचालक आरबी लाल पहली बार 1993 में इलाहाबाद एग्रीकल्चर सोसाइटी के सचिव बने थे। तब उनके पास इस संस्थान के प्रधानाचार्य की भी जिम्मेदारी थी। इससे पहले तक प्रोटेस्टेंट समुदाय के शैक्षणिक और चिकित्सकीय संस्थानों का संचालन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया (सीएनआई) के जरिये किया जाता था। सूत्रों का कहना है कि बाद में सैम हिंग्गिन बॉटम एजुकेशनल एंड चैरिटेबल सोसाइटी का गठन कराकर शुआट्स का सीएनआई से अलग संचालन किया जाने लगा।