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अखिलेश ने चाचा शिवपाल के करीबी को दी अहम जिम्मेदारी, सपा नेताओं में नाराजगी?

SV News

लखनऊ (राजेश सिंह)। मेरठ में समाजवादी पार्टी की गुटबाजी से लखनऊ तक टेंशन है. मेरठ में चाचा शिवपाल यादव के खेमे से बनाए गए सपा जिलाध्यक्ष को लेकर अखिलेश यादव के सिपाही गुटबाजी में जुट गए हैं. सपा के तीनों विधायकों, महानगर अध्यक्ष, बड़े नेता और कार्यकर्ता दूरी बनाकर बैठ गए हैं. बीजेपी इस गुटबाजी पर चुटकी ले रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने नया प्रयोग कर सबको चौंका दिया है, क्योंकि उन्होंने शिवपाल यादव खेमे के मजबूत सिपहसलार विपिन चौधरी को मेरठ का जिलाध्यक्ष बनाकर बड़ा संदेश दिया. चाचा के सम्मान में अखिलेश यादव ने बड़ा दिल दिखाकर जो फैसला किया वो मेरठ में अखिलेश के सिपाहियो को रास नहीं आया. पहली बार जिलाध्यक्ष बनकर मेरठ सपा जिला कार्यालय पहुंचे तो गुटबाजी हावी दिखी.
सपा विधायक शाहिद मंजूर आए ही नहीं और यही हाल सपा विधायक अतुल प्रधान का रहा. सपा विधायक हाजी रफीक अंसारी ने भी दूरी बना ली और महानगर अध्यक्ष आदिल चौधरी भी नजर नहीं आए. सपा के कई बड़े नेता और अक्सर सपा जिला कार्यालय पर जमघट लगाकर रहने वाले कार्यकर्ता भी पहुंचे ही नहीं. इस गुटबाजी पर जब नए जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी से बात के गई तो उनकी नाराजगी बाहर आ गई और साफ कह डाला कि इन्हीं भीतर घातियों से पार्टी को आघात लगा है और अखिलेश यादव को ये जरूर बताऊंगा.
निकाय चुनाव में भी ये गुटबाजी हावी थी और बड़े बड़े सपा के मंच इन नेताओं की एकजुटता को तरस गए. अतर्कलह से नाराज होकर सपा जिलाध्यक्ष रहे जयवीर सिंह पार्टी को छोड़कर भाजपाई हो गए और अब जिस विपिन चौधरी को जिलाध्यक्ष बनाया गया उनके बाद भी गुटबाजी खत्म होने की बजाय और बढ़ गई. जिला कार्यालय पर कुर्सियां भरने के लिए बाउंसर को बैठना पड़ा और कुछ नेताओं में आपसी कलह भी हो गई. हालांकि शिवपाल खेमा इस फैसले से बेहद उत्साहित है. 

भाजपा ने सपा को बताया डूबता जहाज 

इस गुटबाजी और सपा जिला कार्यालय पर ना पहुंचने पर जब सपा विधायक हाजी रफीक अंसारी से सवाल पूछा गया तो बोले मुझे हज पर जाना है लेकिन जल्द सब एक होंगे. क्योंकि हमारे नेता अखिलेश यादव का जो फैसला है वो हमे मंजूर है. अब सपा की इस गुटबाजी पर बीजेपी भी चुटकी लेने में पीछे नहीं है. बीजेपी के नेता कह रहें है सपा के नेता निकाय चुनाव के अपनों को ही हराने में जुटे रहे सभी ने देखा, सपा डूबता जहाज है ये तो होना ही है. साल 2024 नजदीक है, ऐसे में सपा की ये गुटबाजी हावी रही तो नतीजे बदल जाएंगे और ये गुटबाज नेता बीजेपी का मुकाबला कैसे कर पाएंगे. 
सपा में चल रही अंतर्कलह और गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है. अखिलेश यादव के हर फैसले की मुखालफात करना शायद मेरठ में सपा के दिग्गजों का शगल सा बन गया है. अब सवाल उठ रहा है कि बड़े और कड़े फैसले लेने वाले अखिलेश गुटबाजी को बढ़ावा देने वाले नेताओं कार्यवाही करने के बजाय आखिर कब तक मुलायम रुख अख्तियार करते रहेंगे.

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