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प्रयागराज: बड़ी फजीहत हो रही है, ट्विटर अकाउंट हटाओ - एसएचओ हंडिया

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। हंडिया में ‘एसएचओ हंडिया से पीड़ित’ नाम से ट्विटर अकाउंट बनाए जाने के मामले में संचालक पर अकाउंट डिलीट करने का दबाव बनाने की बात सामने आई है। उसका आरोप है कि बुधवार को इंस्पेक्टर ने फोन पर कहा कि बड़ी फजीहत हो रही है, ऐसे में वह ट्विटर अकाउंट हटा दे। यह भी कहा कि वह कार्रवाई के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले यह सब खत्म करो। उधर इंस्पेक्टर ने कॉल करने की बात तो स्वीकार की लेकिन दबाव बनाने की बात गलत है।
अकाउंट संचालक दिनेश पांडेय ने बताया कि बुधवार दोपहर 1.17 मिनट पर उसके पास एक नंबर से मिस्ड कॉल आई। बैक कॉल करने पर दूसरी ओर से हंडिया इंस्पेक्टर धर्मेंद्र कुमार दुबे की आवाज आई। उन्होंने पहले आवाज पहचानने की बात पूछी। जब उसने कहा कि आप शायद सीओ साहब बोल रहे हैं क्या तो उन्होंने कहा कि नहीं मैं दुबे जी बोल रहा हूं। इसके बाद अकाउंट हटाने को कहा। यह भी कहा कि मामले में अब कार्रवाई की जाएगी। अंतिम में यह भी कहा कि बड़ी फजीहत हो रही है। संचालक का यह भी दावा है कि यह नंबर हंडिया थाने में तैनात एक एसआई का है। यह एक हल्के का प्रभारी भी है। हालांकि ट्रू कॉलर एप पर नंबर डायल करने पर डिस्पले में नाम ‘नॉलेज जी’ लिखकर बताता रहा।
इस मामले में इंस्पेक्टर हंडिया धर्मेंद्र कुमार दुबे का कहना है कि ट्वीटकर्ता का पता लगाने के लिए उन्होंने फोन किया था। उन्होंने उससे सिर्फ यह पूछा कि क्या यह ट्वीट उसने किया है। इसके अलावा अन्य कोई बात नहीं हुई। दबाव बनाने की बात गलत है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस मामले काे लेकर ट्वीट किया जा रहा है उसमें आरोप लगाने वाले व विपक्षी दोनों की ओर से अधिकारियों के समक्ष शपथपत्र देेकर समझौता किया जा चुका है। इसी आधार पर दोनों मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगाई जा चुकी है।
उधर मामले की जांच अब तक नहीं शुरू हो सकी है। अब तक पीड़ित का बयान भी नहीं दर्ज किया गया है। पीड़ित दिनेश पांडेय ने बताया कि इस संबंध में उससे अभी कोई संपर्क नहीं किया गया है। गौरतलब है कि डीसीपी गंगानगर अभिषेक भारती ने इस प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट देने को एसीपी हंडिया को निर्देशित किया है। जिसमें साइबर सेल से भी मदद ली जा रही है।

बातचीत के प्रमुख अंश

दुबे जी: पहचान रहे हो आवाज हमारी?

अकाउंट संचालक: आप शायद सीओ साहब बोल रहे हैं क्या?

दुबे जी: नहीं..नहीं, मैं दुबे जी बोल रहा हूं।

अकाउंट संचालक: हां, बताइए।

दुबे जी: ये बताओ... तुमने कोई ट्विटर अकाउंट बनाया है क्या?

अकाउंट संचालक: हां बनाए हैं और इस चीज से आप लोग भी भलीभांति अवगत हैं।

दुबे जी: नहीं... हम लोग नहीं अवगत हैं... हम तो जो आपका ट्वीट आता है, वो अवगत हैं...

अकाउंट संचालक: सर आप लोग कितनी बार... हमारे पास रिकॉर्डिंग है...दबाव बनाया गया है कि आप ट्वीट मत करिए... आपने भी बोला है कि मुकदमा दर्ज कर दूंगा।

दुबे जी: हमने नहीं बोला है...

अकाउंट संचालक: आपने बोला है सर... चार लोगों के बीच में बोला है...कि आप ट्वीट करेंगे, आपके ऊपर मुकदमा दर्ज हो जाएगा। मैं मजबूर होकर बनाया हूं सर...आत्महत्या करने जैसी स्थिति हमारी हो गई है...

दुबे जी: अच्छा मेरी बात सुनो न...

अकाउंट संचालक: बोलिए सर...

दुबे जी: वो उसको... अब अपना समाप्त करिए। बाकी जो तुमने बताया है, कोर्ट बैठ गई है। अब हम लोग कार्रवाई एक महीना...15 दिन में करते हैं। ठीक है... लेकिन उसको...साइलेंट रहिए उसमें।

अकाउंट संचालक: मैं बिल्कुल न्याय के लिए मर रहा हूं, हमें न्याय दिला दीजिए.. हमें किसी से मतलब नहीं है...

दुबे जी: मिल जाएगा.. मैंने कह दिया आपसे ना।

अकाउंट संचालक: वो लोग गिरफ्तार हों, जो दोषी हैं, हमारा खून से सना शर्ट अब तक रखा है।

दुबे जी: अब जो हम कुछ कह रहे हैं उसको सुना करो। जो तुमने बताया है प्रिवेंटिव एक्शन के लिए, वो हमें... अब कोर्ट बैठ गई है, 15 से 20 दिन हमें डॉक्युमेंट कलेक्ट करने में लगेंगे, कार्रवाई हो जाएगी उसमें। लेकिन उसको हटाइए पहले.. बड़ी फजीहत हो रही है यार... समझा करो।

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