पुनरीक्षण याचिका खारिज
प्रयागराज (राजेश सिंह)। जनपद न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने कहा कि मजिस्ट्रेट हर मामलों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने के लिए बाध्य नहीं हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत शक्ति का उपयोग तब किया जाना चाहिए जब न्यायहित के विफल होने जैसी कोई असामान्य और असाधारण बात हो।
यह महत्वपूर्ण टिप्पणी अपर विशेष न्यायाधीश अंजनी कुमार ने याची शोभनाथ की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए की। मामला प्रयागराज के थाना बहरिया का है। वर्ष 2017 में याची ने सीजेएम की अदालत में अर्जी दाखिल कर प्रभावती, उसके बेटे अशर्फी लाल, स्थानीय लेखपाल और पुलिसकर्मियों के खिलाफ उसकी जमीन पर अवैध कब्जा करने और करवाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी। सीजेएम ने याची की अर्जी खारिज कर दी।
सीजेएम के आदेश के खिलाफ याची ने अपर विशेष न्यायाधीश की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की, जिसकी सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश ने सीजेएम के आदेश को उचित मानते हुए हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रहा है कि पक्षकारों के मध्य दीवानी वाद लंबित है। दीवानी वाद को आपराधिक रंग देना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। निजी विवाद में सरकारी कर्मचारियों को लिप्त करना भी उचित नहीं प्रतीत हो रहा है। कोर्ट ने सीजेएम द्वारा 156 (3) की अर्जी निरस्त करने के आदेश को विधिपूर्ण माना और याची की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।