मेजा,प्रयागराज।(हरिश्चंद्र त्रिपाठी)
मेजा तहसील क्षेत्र के विकास खंड उरुवा अंतर्गत औंता गांव स्थित औंता महावीर मंदिर के ठीक सामने स्थित तालाब में भारी संख्या में कछुए मौजूद हैं। औंता महावीर दर्शन के लिए मंगलवार को पहुंचने वाले श्रद्धालु तालाब में मौजूद कछुओं को खाद्य पदार्थ डालते हैं। लोग जैसे ही तालाब की सीढ़ियों से उतरते हैं, भारी संख्या में कछुए उनके पास तक पहुंच जाया करते हैं। बताते हैं कि लगभग पांच बीघे से अधिक इस तालाब में कछुआ काफी दिनों से मौजूद हैं। जिला परिषद इंटर कालेज के प्रवक्ता अभयशंकर मिश्र बताते हैं कि लगभग 50 किलो तक के असंख्य कछुए तालाब में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि इन कछुओं को कोई छू या चोरी नहीं सकता।बताया कि बहुत पहले कोई तालाब से एक कछुआ चुरा कर घर ले गया था,लेकिन वह जब परिवार सहित परेशान हुआ तो कछुआ वापस तालाब में छोड़ दिया।यह भी बताते हैं कि महावीर मंदिर जोन में यदि कोई चोरी करने का प्रयास करता है तो उसे लेने के देने पड़ जाते हैं। गांव के अभयशंकर मिश्र के अलावा अमरेश मिश्र, हंसराज गौतम, हीरा प्रसाद गौतम, राम चन्द्र मिश्र,दीपक पटेल, आशोक गौतम, मंदिर के पुजारी राम निरंजनदास ने बताया कि इस तालाब में दो रंग के कछुए पाए जाते हैं।
एक काला दूसरा भूरा। कलुआ, भलुआ कह कर पुकारने पर तालाब में रहने वाले बेजुबान कछुए किनारे पहुंच जाते हैं। लोगों द्वारा दिए जाने वाले लाई, चूरा,पूरी को पकड़ कर तालाब में लौट जाते हैं। शासन की मंशा के अनुरूप प्रमुख उरुवा आरती गौतम ने इस तालाब को अमृत सरोवर के रूप में चयन कर तालाब का सौन्दर्यीकरण करवा दिया। तालाब के चारों ओर बाड़घेरा लगाकर तालाब के तट बंध (भीटा)को सजा संवारकर पार्क का रूप दे रखा है। मंगलवार को महावीर का दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालु तटबंध पर लगाए गए झूले में बैठकर आंनद लेते हैं। जब औंता महावीर तालाब के कछुओं की बात आती है तो बरबस पास ही स्थित कोठरी गांव के पास गंगा नदी में पाए जाने वाले कछुओं की चर्चा करना स्वाभाविक हो जाता है।
बताते हैं कि गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने में वन्यजीव कछुओं व मछलियों का बड़ा योगदान होता है। इसे देखते हुए सरकार ने प्रयागराज के कोठरी गांव से लेकर भदोही तक कछुआ सेंचुरी बनाने का निर्णय ले रखा है। जिलाधिकारी प्रयागराज इस कछुआ सेंचुरी के नामित अध्यक्ष हैं। उनके निर्देश पर वन विभाग की टीम डीएफओ की अगुवाई में गंगा नदी का सर्वे करने पहुंची थी। टीम के सदस्य रहे महाबीर कौजलगी ने बताया कि मेजा के कोठरी गांव से लेकर मिर्जापुर होते हुए भदोही के मणिपुर तक का गंगा क्षेत्र सेंचुरी के लिए ले लिया गया है। जल्द ही कछुए व डाल्फिन मछली को बाहर से लाकर गंगा में छोड़े जाने की योजना पर कार्य चल रहा है। बता दें कि सेंचुरी घोषित एरिया में मछुआरे मछली नहीं पकड़ सकेंगे। यह प्रतिबंधित क्षेत्र होगा।