लखनऊ (राजेश सिंह)। सीओ जिया उल हक की हत्या के मामले में सीबीआई ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी से तीन दिन तक गहन पूछताछ की थी। नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय की टीम ने सीओ की हत्या में राजा भैया की भूमिका के हर पहलू को खंगाला, लेकिन कोई अहम सुराग हाथ नहीं लग सका। सीबीआई से परेशान होकर राजा भैया ने खुद सीबीआई कोर्ट से अपना लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने का अनुरोध किया था।
कोर्ट की अनुमति मिलने पर सीबीआई ने जुलाई, 2013 में राजा भैया का टेस्ट कराया था। इसमें भी कोई खास सुबूत नहीं मिलने पर उनको क्लीन चिट दी गयी थी। क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद राजा भैया के खिलाफ मामला बंद कर दिया गया, हालांकि सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने अदालत में लड़ाई जारी रखी।
बताते चलें कि कुंडा में सीओ की हत्या की सूचना मिलते ही राजा भैया ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर अपना पक्ष रखा था। हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी की छवि का हवाला देते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उल्लेखनीय है कि इस मामले की जांच सीबीआई के एडिशनल एसपी एसएस गुरुम ने की थी।
सीबीआई टीम ने प्रतापगढ़ में कैंप कार्यालय बनाकर राजा भैया के साथ उनके तमाम परिजनों, स्टाफ और करीबियों को बुलाकर पूछताछ की थी। सीओ जिया उल हक और राजा भैया के बीच रिश्तों की पड़ताल और गांव में घटनाक्रम समझने के लिए भेष बदलकर रेकी भी की थी। सीबीआई जांच में सामने आया था कि वलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की यादव के बाद मौके पर पहुंचे सीओ की टीम पर ग्रामीणों ने हमला बोल दिया था। इस दौरान सीओ को गोली लग गयी थी।