प्रयागराज (राजेश सिंह)। पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज पीयूसीएल की प्रदेश अध्यक्ष सीमा आजाद, उसके पति विश्वविजय, भाई मनीष सहित कई अन्य शख्स प्रतिबंधित आतंकी संगठन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे थे। इसके लिए सीपीआई (माओवादी) के नेताओं, कैडरों, समर्थकों का सहयोग लिया जा रहा था। इसके चलते ही मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने सीमा समेत कई लोगों के घर पर सर्च आपरेशन चलाया था। उनके मकान से जब्त किए गए साहित्य और डिजिटल उपकरण की जांच चल रही है। उससे मिलने वाले इनपुट और साक्ष्य के आधार पर आगे की कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है।
एनआईए की जांच से यह भी साफ हुआ है कि फ्रंटल संगठनों और कुछ छात्र विंग को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से कैडरों को प्रेरित करने, भर्ती करने और माओवादी की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने का काम सौंपा गया था। वह इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की साजिश भी रच रहे थे। इसकी अगुवाई प्रमोद मिश्रा कर रहा था। एनआईए सूत्रों का कहना है कि अब 14 सितंबर को सीमा आजाद सहित अन्य को बयान दर्ज करने के लिए लखनऊ बुलाया गया है। उनके बयानों में अगर किसी और शख्स का नाम सामने आता है तो उन्हें भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।
बताया गया है कि बीते माह बिहार पुलिस ने रितेश विद्यार्थी के भाई रोहित को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के बाद सीपीआई (माओवादी) के सीसी सदस्य और उत्तरी क्षेत्र ब्यूरो के प्रभारी प्रमोद मिश्रा की गिरफ्तारी की गई। तब मामले में एनआईए की ओर से एफआईआर दर्ज की गई। इसमें मनीष आजाद, रितेश विद्यार्थी के साथ ही उनके सहयोगी विश्वविजय, उसकी पत्नी सीमा आजाद का नाम शामिल है। यह भी कहा गया है कि विश्वविजय और सीमा आजाद के सहयोगी अमिता शिरीन, मनीष आजाद, कृपा शंकर, सोनी आजाद, आकांक्षा और राजेश आजाद भी शामिल हैं। एनआईए ने इन्हें भी आरोपित बनाते हुए इनके ठिकानों पर सर्च आपरेशन चलाया है।