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पुरानी संसद में गाली देने की छूट नहीं थी, नई में खुली छूट: आरिफ बाबा

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मेजा, प्रयागराज (विमल पाण्डेय)। भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने बसपा सांसद दानिश अली पर आपत्तिजनक टिप्पणी की जिस पर हंगामा मच गया है। वही कांग्रेस के पूर्व अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष आरिफ बाबा ने कहा पंडित नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, मौलाना आज़ाद के सपनों से बनी पुरानी संसद में गाली देने की छूट नहीं थी, नई संसद में साम्प्रदायिक गाली दी जा रही है। मुझे भरोसा है कि मा लोकसभा स्पीकर जी कार्यवाही ज़रूर करेंगे। आरिफ बाबा ने कहा की जब मेरे जैसे जनता द्वारा चुने हुए व्यक्ति की स्थिति ये है तो एक आम मुसलमान की स्थिति क्या होगी बीएसपी सांसद दानिश अली  के ये शब्द बीजेपी सरकार के माथे पर कलंक है देश के 25 करोड़ वाले मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध इतनी नफरत रखकर ये लोग जनता की सेवा क्या करेंगे? ये जनता के नेता नहीं बल्कि नफरत भरी मानसिकता के पुतले है। आरिफ ने पूछा की क्या बीजेपी ऐसे नफरतबाज सांसदो के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करेगी बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी नई संसद के अंदर BSP के मुस्लिम सांसद दानिश अली को खुलेआम भड़वा, कटवा, उग्रवादी, मुल्ले आतंकवादी बोलकर बाहर देख लेने की धमकी दे रहा है, क्या यह लोकतंत्र की हत्या नहीं है? रमेश बिधूड़ी को तत्काल बर्खास्त करके जेल में डाला जाना चाहिए।

हमें यह सोचने की जरूरत है कि अगर संसद में एक सांसद के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया, तो मुसलमानों, दलितों के खिलाफ किस तरह की भाषा को वैधता दी गई है  अभी तक पीएम रमेश बिधूड़ी पर एक शब्द नहीं बोल सके वही आरिफ ने कहा की

कहा, ‘‘ज्यादा खराब बात ये है कि बीजेपी सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन और रविशंकर प्रसाद इस तरह से बिधूड़ी को बोलने से रोकने या उनकी बात सही कराने के बजाय हंस रहे थे. बिधूड़ी को अब तक निलंबित क्यों नहीं किया गया लोकसभा अध्यक्ष को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए क्या बीजेपी उन्हें पार्टी से निलंबित करेगी या फिर उन्हें पदोन्नत किया जाएगा पूर्व जिलाध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रयागराज आरिफ ने कहा कि कल लोकसभा में जब भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी अपशब्द बोल रहे थे और अपनी ज़बान से ज़हर उगल रहे थे तब दो पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद और डॉ. हर्षवर्धन अपने सहयोगी की आपत्तिजनक बातों पर बेशर्मी से हंस रहे थे। लोकतंत्र और संसदीय परंपरा को कलंकित करने वाले इस मामले में ये दोनों भी उतने ही निंदा के पात्र हैं जितने कि बिधूड़ी।

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