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हाईकोर्ट की टिप्पणी: जब तक सात फेरे पूरे न हों, तब तक दुल्हन नहीं दूल्हा की

SV News


प्रयागराज (राजेश सिंह)। जब तक पूरे ना हो फेरे सात...तब तक दुलहिन नहीं दूल्हा की। यह सिर्फ फिल्मी गीत नहीं, रीति-रिवाजाें के साथ संपन्न हुए हिंदू विवाह की वह जरूरी शर्त जो विवाह को वैधता प्रदान करती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बात पर अपनी मोहर लगाते हुए कहा कि हिंदू विवाह में वैधता स्थापित करने के लिए सप्तपदी (सात वचनों के सात फेरे) अनिवार्य तत्व हैं। सभी रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह समारोह को ही कानून की नजर में वैध विवाह माना जा सकता है। यदि ऐसा नहीं है तो कानून की नजर में वह विवाह शून्य है।
यह महत्वपूर्ण टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत ने याची स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह के विरूद्ध निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन को रद्द करते हुए की। याची के विरूद्ध उसके पति और ससुराली जनों ने बिना तलाक, दूसरा विवाह करने का आरोप लगाया था। वाराणसी जिला अदालत में परिवाद का संज्ञान लेते हुए निचली अदालत ने याची के विरूद्ध सम्मन जारी करते हुए अदालत में पेश होने का आदेश दिया था।
याची ने परिवाद और सम्मन को हाईकोर्ट में चुनौती दी।याची का कहना था कि उसका विवाह 5 जून 2017 को सत्यम सिंह के साथ हुआ था। कुछ समय बाद दोनों में आपसी मतभेद पैदा हो गए। जिसके कारण याची ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। याची ने आरोप लगाया कि ससुराल वालों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। इस मामले में पुलिस पति व ससुराली जनों के खिलाफ विचारण न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।

दूसरी शादी का आरोप निकला झूठा

याची ने दलील दी कि पति द्वारा दाखिल परिवाद में विवाह समारोह संपन्न होने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है, न हीं सप्तपदी का कोई साक्ष्य है, जो हिंदू विवाह की अनिवार्य रस्म है। एकमात्र साक्ष्य के तौर पर फोटोग्राफ लगाया गया है, जिसमें लड़की का चेहरा स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है। याची ने कहा कि दूसरा विवाह करने का आरोप सरासर गलत है। यह आरोप याची की ओर से दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न के मुकदमे का बदला लेने की नीयत से लगाया गया है।
गौरतलब है कि याची के पति और ससुराल वालों ने पुलिस अधिकारियों को एक शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया था कि पहले पति से तलाक लिए बिना याची ने दूसरी शादी रचा ली है। सीओ सदर मिर्जापुर ने मामले जांच की तो शिकायत झूठी निकली। इसके बाद पति सत्यम सिंह ने वाराणसी के जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल कर दिया।

हिंदू विवाह में सात फेरों के सात वचनों का महत्व

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा हिंदू विवाह में सात फेरों के सात वचनों का काफी महत्व होता है। हिंदू विधि के मुताबिक हिंदू विवाह की वैधता को स्थापित करने के लिए सप्तपदी एक अनिवार्य तत्व है, मगर वर्तमान मामले में इसका कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सिर्फ याची को परेशान करने के उद्देश्य से दूषित न्यायिक प्रक्रिया शुरू की गई है, जो अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। अदालत का यह दायित्व है कि वह निर्दोष लोगों को ऐसी प्रक्रिया से बचाएं। कोर्ट ने वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अप्रैल 2022 को याची के विरुद्ध जारी सम्मन और परिवाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया है।

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