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राम चरित मानस श्री राम का अक्षराकार विग्रह है: पंडित निर्मल कुमार शुक्ल


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मेजारोड, प्रयागराज (राजेश कुमार "बाबा")। श्रीराम चरित मानस विश्व साहित्य का मुकुट मणि हैं यह मानव जीवन की प्रयोगशाला है, इस दिव्य ग्रंथ का श्रवण पठन या अनुकरण करने से मानव में दैवी गुणों का प्रादुर्भाव होता है। उक्त उद्गार श्री राम चरित मानस सम्मेलन सिद्ध हनुमान मंदिर पांती, मेजारोड में महाराष्ट्र से पधारे विद्वान मानस गीता भागवत तथा सनातन धर्मशास्त्रों के मर्मज्ञ कवि साहित्यकार पंडित निर्मल कुमार शुक्ल ने व्यक्त किया। श्री शुक्ल ने कहा कि राम चरित मानस मात्र एक ग्रंथ नहीं यह भगवान श्री राम का अक्षराकार विग्रह है। शाश्त्रोंं में भगवान के अनेकों प्रकार के विग्रहों का वर्णन आता है जैसे पाषाण मूर्ति मिट्टी की मूर्ति स्वर्ण मूर्ति काष्ठ मूर्ति रत्न मूर्ति ऐसे ही रामायण भगवान की अक्षराकार मूर्ति है जिसमें बाल कांड चरण अयोध्या काण्ड कमर अरण्य काण्ड पेट और किष्किन्धाकाण्ड ह्रदय है।उसी प्रकार सुन्दर काण्ड भगवान श्री राम का कंठ लंका काण्ड मुख और उत्तर काण्ड सिर है।इसी लिए महर्षि वाल्मीकि ने इसका नाम रामायण रखा अयन घर को कहते हैं यह भगवान श्री राम का घर है इसमें सप्राण राम जी का निवास होता है। संसार की समस्त समस्याओं का समाधान इस ग्रंथ में निहित है इसमें वर्णित राम राज्य विश्व राजनीति का सर्वोच्च शिखर है जिसमें समाज के हर व्यक्ति को समुचित आदर सम्मान सुलभ है वहां कोई बड़े छोटे का भेदभाव नहीं है सब निरोग हैं सब सच्चरित्र और धर्म से संलग्न हैं शत प्रतिशत साक्षरता है राम राज्य में।बांदा से आए हुए विद्वान मानस रत्न राम गोपाल जी तिवारी ने अयोध्या काण्ड के मार्मिक प्रसंगों का भाव पूर्ण वर्णन किया। वाराणसी से पं राम सूरत जी ने मानस के विभिन्न प्रसंगों की आह्लाद कारिणी व्याख्या किया अंत में जगद्गुरु श्रीधराचार्य जी महाराज ने सनातन धर्म के विभिन्न सूत्रों की व्याख्या करके श्रोता समूह को आनंद रस से परितृप्त किया।पं विजया नंद उपाध्याय ने सभी विद्वानों का पुष्प हार से स्वागत किया और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। इसी प्रकार लगातार 9 दिनों तक यह कथा गंगा प्रवाहित होती रहेगी। आयोजक पं नित्यानंद उपाध्याय व विजयानंद उपाध्याय ने धर्म प्रेमी सज्जनों से अधिकाधिक संख्या में कथामृत पान करने का आग्रह किया है।कथा प्रतिदिन शायंकाल 5 रात्रि से 10 बजे तक चलेगी।

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