प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिले के 37 साल पुराने सिकरौरा कांड मामले में बृहस्पतिवार को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। कोर्ट इस मामले में हफ्ते भर से लगातार सुनवाई कर रही थी। हीरावती और यूपी सरकार की ओर से दाखिल आपराधिक अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी।
मामले में वाराणसी सत्र अदालत ने घटना में माफिया बृजेश सिंह सहित 13 लोगों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया था। यह घटना 1986 में हुई थी। याचियों की ओर से वाराणसी के सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है। सुनवाई के अंतिम दिन याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप गुप्ता, उपेंद्र उपाध्याय, सरकार की ओर से पीसी श्रीवास्तव ने दलील दोहराई कि घटना की रात बृजेश सिंह को पुलिस ने गड़ासे के साथ पकड़ा था। माफिया ने इसे खुद ही स्वीकार किया है।
मामले की जांच करने वाले पहले अधिकारी के बयान से भी यह साबित है। चश्मदीद गवाहों ने भी अपने बयान में इसकी पुष्टि की है। हालांकि, प्रतिवादी अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने इसके विरोध में तर्क दिया। कहा कि निचली अदालत ने याचियों के हर पहलुओं पर विचार करने के बाद ही आरोपियों को बरी किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया।