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प्रयागराज: दीपों से जगमगाया संगम क्षेत्र, खुशियों की आतिशबाजी से आसमान हुआ सतरंगी

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। ज्योति पर्व पर रविवार की शाम गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर मानवता की रक्षा की कामना से युद्ध विराम के दीप जलाए गए। संगम तट से यह संदेश वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शंखध्वनि के बीच दिया गया। इसी के साथ त्रिवेणी तट पर पंक्तिबद्ध दीपमालाओं की आभा जगमगा उठी। शहर का हर कोना दीपों की लडि़यों और आतिशी नजारों से सतरंगी हो गया।
संगम नगरी में दीपावली इस बार गाजा युद्ध विराम की अपील के बीच शांति के पैगाम पर केंद्रित रही। जय त्रिवेणी जय प्रयाग गंगा आरती समिति की ओर से संगम पर युद्ध विराम का संदेश दीपमालाओं में पिरोया गया। पतित पावनी मां गंगा की महाआरती हुई और मानवता की रक्षा के लिए कतारबद्ध दीप जलाए गए। इसी तरह संगम से लेकर शहर की हर गलियों, चौराहों, भवनों, इमारतों और सरकारी, गैर सरकारी प्रतिष्ठानों पर की गई भव्य सजावट से पूरा शहर जगमग ज्योति से दमक उठा। सांझ ढलते ही एक तरफ दीपमालाओं की आभा से धरा प्रकाशित हो उठी तो दूसरी ओर आतिशी नजारों से आसमान इंद्रधनुषी नजर आने लगा। त्रिवेणी तट से लेकर शहर तक घर-घर में दीपमालाओं की कतारें हर किसी का मन मोहती रहीं। शाम होते ही घर-घर से बच्चे-महिलाएं थालियों में दीप सजाकर देवस्थानों पर पहुंचने लगे। संगम पर दीप जलाने की होड़ मच गई।
घरों से लेकर मंदिरों, तीर्थों तक लोग मंगल कामना के दीप जलाकर धन्य होते रहे। आवासीय परिसरों को सोसाइटी के पदाधिकारियों ने दीपों से और भी भव्यता प्रदान की। यहां समूहों में रंगोलियां बनाकर खुशी का इजहार किया जाता रहा। चाहे सिविल लाइंस हो या कटरा, चौक, अतरसुइया, बहादुरगंज, मुट्ठीगंज, खुल्दाबाद, सुलेम सराय, हर तरफ दिवाली की जगमग छटा देखते बन रही थी। पटाखों की गूंज के साथ खुशियों के फव्वारे हर तरफ फूट रहे थे। आधी रात के बाद तक यह सिलसिला चलता रहा। त्रिवेणी तट पर दीपमालाओं की कतारें गंगा-यमुना की लहरों पर खूब इतराईं। लोग तटों के साथ लहरों पर भी दीप जलाते रहे। नावों पर भी दीप सजाए गए। शहर के पार्कों, तिराहों, चौराहों, ऊंची इमारतों की दीवारों से लेकर छतों-बारजों तक दीपों की ज्योति जगमगाती रही।
दीपावली पर रविवार को बच्चों से लेकर बड़ों तक की खुशी देखते बनी। दीपदान के साथ ही आतिशबाजी की हर तरफ होड़ मची रही। बच्चे ही नहीं बड़े भी, छतों से लेकर तिराहों, चौराहों पर चकरी, अनार, राकेट, आकाशदीप समेत तरह-तरह के पटाखे और फुलझड़ियां छोड़ते रहे। आतिशबाजी पर करोड़ों रुपये बहाए गए। अंधाधुंध पटाखे फोड़े जाने से शहर के तमाम मोहल्लों में गहरी धुंध भी छाई रही। दीपावली पर शहर में दर्जनभर से अधिक स्थानों पर पंडालों में मां काली की प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा कर विश्व शांति के लिए आराधना की गई। पुष्पांजलि के बाद धुनुचि नृत्य और शंखध्वनि से मां काली की स्तुति की गई। मां काली की झांकियों के दर्शन के लिए शाम को भीड़ लगी रही।
दुर्गा पूजा बारवारियों की ओर से पंडालों में मां काली की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित की गईं। कटरा स्थित मनमोहन पार्क के पास मां काली के मंदिर में काली की झांकी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। महाकाली मंदिर समिति की ओर से भव्य सजावट की गई। बादशाही मंडी स्थित नारायण सिंह नगर में मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर में भव्य काली पूजनोत्सव में भक्त शामिल हुए। राजरूपपुर स्थित सर्व सिद्ध पुरातन कालीबाड़ी ट्रस्ट की ओर से शाम 7:30 बजे संध्या आरती से काली पूजा आरंभ हुई। रात एक बजे 106 दीप जलाए गए। आधी रात के बाद पुष्पांजलि के बाद महाआरती हुई। सिटी बारवारी, जानसेनगंज, दारागंज, राजरूपुर, बैरहना, मुट्ठीगंज कालीबाड़ी में काली पूजा की गई।

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