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प्रयागराज में गर्मी से 22 की मौत, प्रतापगढ़ में सबसे ज्यादा; दो दिन बाद बरसेगा कहर

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। प्रदेश में रिकार्ड तोड़ गर्मी कुछ शांत होने लगी है। शनिवार को लू का दायरा सिमटा और लगातार चढ़ रहे पारे की रफ्तार थमी। प्रदेश के अधिकतम तापमान में पांच डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई है। पारे के उतार-चढ़ाव के बीच झांसी में दिन का तापमान 46.9 डिग्री सेल्सियस, कानपुर में 45.4 डिग्री और उरई में 45.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शुक्रवार की तुलना में तीनों ही शहरों का पारा लुढ़का है।
वहीं इस भीषण गर्मी की वजह से उत्तर प्रदेश में लोगों की जान जा रही है। प्रयागराज मंडल की बात करें तो यहां अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है। गर्मी के कारण मंडल के प्रयागराज, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ जिले में 18 लोगों ने दम तोड़ दिया। वहीं 24 घंटे में सबसे ज्यादा प्रतापगढ़ में 10 लोगों की मौतें हुईं। प्रयागराज शहर में चार, गंगापार-यमुनापार इलाके में छह और कौशाम्बी में दो लोगों की जानें गई हैं। 
आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र लखनऊ के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, मंगलवार तक मौसम ऐसा ही रहेगा। क्रमिक कमी का सिलसिला जारी रह सकता है। मंगलवार के बाद फिर लू और भीषण गर्मी का दौर लौटेगा।
भीषण गर्मी के प्रकोप से मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा। शुक्रवार को भी लू लगने और गर्मी से प्रदेश में 198 लोगों की मौत हो गई। इनमें शनिवार को होने वाले मतदान के लिए चुनाव ड्यूटी में तैनात 19 मतदानकर्मी और सुरक्षाकर्मी हैं। वहीं, बिहार में भी 10 मतदानकर्मियों की जान चली गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भीषण गर्मी-लू का प्रकोप बढ़ने की वजह से आमजन, पशुधन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर पुख्ता प्रबंध किए जाएं। राहत आयुक्त कार्यालय मौसम पूर्वानुमान का दैनिक बुलेटिन जारी करे। गांव हो या शहर, कहीं भी अनावश्यक बिजली कटौती नहीं हो। अतिरिक्त बिजली खरीदने की व्यवस्था करें। ट्रांसफार्मर जलने, तार गिरने, ट्रिपिंग जैसी समस्याओं का बिना विलंब निस्तारण हो। अधिकारी फोन उठाएं, कहीं भी विवाद की स्थिति न बनने पाए। वरिष्ठ अधिकारी तत्काल स्वयं मौके पर पहुंचें।
सीएम योगी ने कहा कि अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में लू से प्रभावित लोगों का तत्काल इलाज किया जाए। शहरों में पेयजल की आपूर्ति निर्धारित रोस्टर के अनुरूप की जाए। हैंडपंप क्रियाशील रखें, ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाओं का सुचारू संचालन किया जाए। गोवंश, श्वान आदि के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पानी एवं छाया की व्यवस्था की जानी चाहिए। पक्षियों के लिए छोटे बर्तनों में पानी एवं दाना रखने के लिए आमजन को जागरूक करें।

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