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चुनाव खत्म अब महाकुंभ की तैयारी, विकास कार्यों को मिलेगा आधार

SV News

प्रयागराज (राजेश सिंह)। लोकसभा चुनाव खत्म हो गया है। अब महाकुंभ की तैयारियों का शोर सुनाई देगा। चुनावी आचार संहिता खत्म होने के साथ विकास कार्यों तथा शहर को संवारने के काम को भी पंख लगेंगे। महाकुंभ-2025 से पहले पूरे शहर तथा आसपास के इलाकों को पूरी तरह से बदलने की तैयारी है।
महाकुंभ के मद्देनजर होने वाले ज्यादातर कार्यों की पहले ही अनुमति ली जा चुकी है लेकिन शहर को संवारने तथा विभागों के स्तर पर होने वाले कई अन्य कार्यों को शुरू करने के लिए आचार संहिता खत्म होने का इंतजार है। नगर निगम में रुके कार्यों की बात करें तो नए वित्तीय वर्ष में सड़कों के निर्माण, मरम्मत, गलियों की मरम्मत एवं नाली निर्माण, पार्कों के सुंदरीकरण समेत कई कार्यों के प्रस्ताव मंजूरी के स्तर पर ही लंबित हैं।
जलकल में भी स्टील बॉडी वाले 30 टैंकर, पांच ट्रैक्टर आदि की खरीद का निर्णय लिया गया है। प्रशासनिक स्तर पर इसे मंजूरी मिल गई है लेेकिन टेंडर आदि की प्रक्रिया बाधित हो गई। बजट स्वीकृत नहीं होने के कारण ग्रामीण विकास के भी कार्य पूरी तरह से रुके हैं। विधायक निधि से होने वाले काम ठप हैं। इसी तरह से अन्य विभागों के भी विकास कार्य प्रभावित हुए हैं लेकिन चुनाव खत्म हो गया है। आचार संहिता खत्म होने के साथ सभी तरह की बाधाएं खत्म हो जाएंगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी।
महाकुंभ से पहले डेयरियों तथा पशु पालकों को शहर से बाहर करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए पहल भी की गई लेकिन नीति नहीं होने की वजह से कार्रवाई बीच में ही रोकनी पड़ी। अब आचार संहिता खत्म होने के बाद नई नीति के जल्द आने की उम्मीद है। इसके अलावा आचार संहिता की वजह से किसी तरह की रोक तो नहीं थी लेकिन चुनाव में नाराजगी न बढ़ने पाए इसके लिए अतिक्रमण के खिलाफ अभियान, आवारा पशुओं को बाहर करने समेत कई तरह की कार्रवाइयां रोक दी गई हैं। इसी तरह से रोक नहीं होने के बावजूद कई विकास कार्यों के शिलान्यास आदि नहीं हो पा रहे लेकिन अब यह दबाव भी खत्म हो गया है।
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता 16 मार्च को लागू हुई थी। ऐसे में वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद विभागों को नए सिरे से बजट जारी नहीं हो पाए। सिर्फ आवश्यक कार्यों के लिए पैसा मिला। यहां तक कि विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के खाते में भी पैसा नहीं पहुंचा है। इसके अलावा पात्र पाए जाने के बावजूद हजारों लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं में शामिल नहीं किया जा सका है।
अकेले समाज कल्याण विभाग की वृद्धा पेंशन के लिए ही 14 हजार से अधिक आवेदन पात्र पाए गए हैं। इनका सत्यापन भी हो गया है लेकिन आचार संहिता की वजह से इन्हें योजना में शामिल नहीं किया जा सका है। इसी तरह की स्थिति दिव्यांगजन कल्याण, पिछड़ी जाति कल्याण समेत अन्य विभागों में भी है। अब आचार संहिता खत्म होने के साथ इन्हें योजनाओं का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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