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प्रयागराज: श्मशान घाट पर बढ़ी चिताओं की संख्या, शवदाह के लिए लगा जाम

SV News

लकड़ी व अन्य सामग्री की किल्लत, अव्यवस्थाओं की मार झेल रहा श्मशान घाट

प्रयागराज (राजेश सिंह)। श्रृंग्वेरपुरधाम अध्यात्म और मोक्ष की भूमि है। एक तरफ श्रीरामघाट पर पूजा आराधना तो दूसरी तरफ श्मशान घाट पर मोक्ष के लिये चिताओं का अंतिम संस्कार किया जाता है। कोरोना काल मे शवों को दफन किये जाने के बाद श्रृंग्वेरपुरधाम का शमशान घाट चर्चा में रहा। वहीं, पिछले तीन दिनों से श्रृंग्वेरपुरधाम के शमशान घाट पर जलने वाली चिताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी गई है। साधारण तौर पर लगभग तीस चिताएं श्मशान घाट पर जलाई जाती हैं। वहीं, पिछले तीन दिनों मे चिताओं का महाजाम लग गया। 29 मई को 110, 30 मई को 95 और 31 मई को 135 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। पिछले तीन दिनों मे चिताओं के बढ़ने के कारण लकड़ियों और स्थानीय सामग्री की किल्लत देखी गईं। 
शमशान घाट पर खड़े होने का स्थान नहीं मिल रहा था। श्रृंग्वेरपुरधाम के श्रीरामघाट की सड़कें जाम से भरी रहीं। स्थानीय दुकानों और होटलों में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। शुक्रवार रात 11 बजे तक चिताएं जलती रहीं। ज्यादातर चिताएं बुजुर्ग और महिलाओं की रहीं, जिसमें प्रतापगढ़ क्षेत्र से ज्यादा चिताएं शमशान घाट पहुंची। प्रति पांच से दस मिनट मे शव यात्राएं श्रृंग्वेरपुरधाम से गुजरती रहीं। स्थानीय ग्रामीण देखकर हैरान रहा गए। बताया जा रहा है कि इसमें कई विक्षिप्त तरह के लोगो की चिताएं भी जलाई गईं है। जिनकी भीषण गर्मी और लू लगने के कारण मौते हुई है। यदि गिनती करने बैठा जाए तो चार से पांच दिनों मे 6 गुना से ज्यादा चिताएं जलाई गईं हैं।
श्रृंग्वेरपुरधाम मे आम दिनों से हटकर पिछले कई दिनों मे पानी की बोतलें और कोल्ड ड्रिंक की बिक्री तेजी से हुई है। शुक्रवार क़ो आलम यह था कि स्थानीय दुकानों मे पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलें ही समाप्त हो गईं। स्थानीय ग्रामीणों ने पानी का पाउच बनाकर पानी बेचा। श्रृंग्वेरपुरधाम की सड़कों में पानी की और कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलों के अपशिष्ट बिखरे रहे। शमशान घाट पर चारों तरफ जली हुई लकड़ी ही दिखाई पड़ रही हैं।
श्रृंग्वेरपुरधाम मे लाखों की लागत से पर्यटन विभाग द्वारा शौचालय का निर्माण कराया गया है। निर्माण कराये गए तीन साल बीत गए, लेकिन ताला अभी तक नहीं खुला है। श्रृंग्वेरपुर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष अरुण द्विवेदी ने बताया कि श्रृंग्वेरपुरधाम मे लाखों रुपये साफ-सफाई पर खर्च किये गए, लेकिन गंदगी बनी हुई है। पेयजल की कोई व्यवस्था न होने से अंतिम संस्कार मे आए ग्रामीणों क़ो पानी के लिये भटकना पड़ा।
श्रृंग्वेरपुरधाम मे पिछले तीन दिनों मे शवो क़ो गंगा तट पर दफनाया गया। जिसमे सीताकुण्ड घाट, भैरव घाट, गऊ घाट, और विद्यार्थी घाट के पास शवो क़ो दफनाया गया है। अभी तक गंगा किनारे दफनाये जा रहे शवो क़ो लेकर प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
एसडीएम सोरांव से श्रृंग्वेरपुरधाम मे पिछले तीन दिनों मे बढ़ी हुई चिताओं के जलाये जाने के संबंध मे बात की गई है। उनसे बताया गया कि किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है तो एसडीएम गणेश कनौजिया ने कहा की यह वहां के नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है। बीडीओ से इस संबंध मे बात करें। बीडीओ लीलाधर शुक्ल से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि साफ-सफाई और पानी के टैंकर की व्यवस्था करा दी जाएगी, जिससे दिक्कतें न हों।

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