प्रयागराज (राजेश सिंह)। पांच राज्यों में करीब 250 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोपी महाठग ज्ञानेश पाठक गिरफ्तार हो गया है। एसटीएफ की प्रयागराज टीम ने अभियुक्त को नागपुर से दबोचा। उस पर उत्तर प्रदेश के बरेली से 25 और उत्तराखंड से 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। प्रयागराज निवासी ज्ञानेश पाठक पिछले पांच साल से फरार था।
एसटीएफ इंस्पेक्टर जेपी राय ने बताया कि ज्ञानेश ने वर्ष 2012 में अपने आठ साथियों के साथ मिलकर जेकेवी मल्टीस्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड व जेकेवी रियल एस्टेट डेवलपर लिमिटेड के नाम से पंजीकरण कराया। सोसायटी का मुख्य कार्यालय लखनऊ में खोला गया, जिसका अध्यक्ष ज्ञानेश बना।
इसके बाद वह अपने सहयोगियों के साथ धन दोगुना करने का झांसा देकर आम लोगों से पैसा जमा करवाने लगा। धीरे-धीरे राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार में सोसायटी के 100 से अधिक शाखाएं खोली।
वर्ष 2018-19 में उसने सोसायटी में पैसा जमा करने वाले लोगों को करीब 20 से 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन बाकी रकम को गबन कर लिया। करीब 250 करोड़ रुपये लेकर ज्ञानेश समेत अन्य लोग फरार हो गए।
धोखाधड़ी का शिकार हुए लोगों ने अलग-अलग पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। गिरफ्तारी न होने पर बरेली व उत्तराखंड से 75 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया था। कुछ दिन पहले एसटीएफ को उसके बारे में सुराग मिला तो टीम को मुंबई भेजा गया। वहां एसटीएफ ने नागपुर के हुडकेश्वर इलाके में घेरेबंदी करके ज्ञानेश को दबोच लिया।
एसटीएफ का कहना है कि यूपी के सिद्धार्थनगर, हाथरस, बरेली, बाराबंकी, अमरोहा, बिजनौर, सहारनपुर, शामली, एटा, आगरा, बस्ती, संभल और मुरादाबाद जिले के थाने में धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज हैं।
उत्तराखंड के नैनीताल, हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह नगर, राजस्थान के करावली, गुमानपुरा, मध्य प्रदेश के अमाहिया, मुरैना, जबलपुर समेत कई अन्य जिले में कुल 39 अभियोग पंजीकृत हैं। बरेली के किला थाना व उत्तराखंड नैनीताल हल्दानी थाने से इस पर इनाम घोषित था।
एसटीएफ ने बताया कि ज्ञानेश ने वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की थी। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी किया था। इसके गैंग के कुछ सदस्य पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके थे।