Ads Area

Aaradhya beauty parlour Publish Your Ad Here Shambhavi Mobile

सनातन धर्म में महाकुंभ के 45 दिन है अमृत योग

SV News

जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने कहा 

छह प्रमुख स्नान पर्वों पर है अमृत काल का योग

स्नान कर दान, सेवा से बढ़ जाता है पुण्य: शांडिल्य जी महराज 

प्रयागराज (राजेश सिंह)। जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज श्रृंगवेरपुर पीठाधीश्वर ने कहा कि इस बार तीर्थराज प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में अमृत योग है। यह महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2020 पौष पूर्णिमा से शुरू होकर 26 मार्च महाशिवरात्रि को संपन्न होगा अर्थात 45 दिन के महाकुंभ में छह प्रमुख स्नान पर्व पड़ेंगे जिसमें से तीन मुख्य स्नान पर्वों पर शाही स्नान होगा। इस दौरान सभी 13 अखाड़े क्रम से शाही स्नान करेंगे। इस दौरान करोड़ों लोग देश और विदेश के शाही स्नान देखते हैं।
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने बताया कि 45 दिन के महाकुंभ में छह प्रमुख स्नान पर्व है। इसमें पहला मुख्य स्नान पर्व पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 , दूसरा मुख्य स्नान पर्व 14 जनवरी को मकर संक्रांति, तीसरा मुख्य स्नान पर्व 29 जनवरी मौनी अमावस्या, चौथा मुख्य स्नान पर्व बसंत पंचमी तीन फरवरी, पांचवां मुख्य स्नान पर्व माघी पूर्णिमा 12 फरवरी और छठवां एवं अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को है। उन्होंने बताया कि शासन और मेला प्रशासन महाकुंभ को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां कर रहा है। मेला प्रशासन देश और विदेश से महाकुंभ में 40 करोड़ श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों के आने की संभावना जता रहा है।
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने कहा कि वैसे तो कुंभ प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार में लगता है लेकिन तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर लगने वाले माघ मेला, अर्द्ध कुंभ मेला और महाकुंभ मेला का विशेष महत्व है क्योंकि कि सृष्टि की रचना से पहले भगवान ब्रह्मा ने तीर्थराज प्रयागराज में विशाल यज्ञ किया था। प्रलय के दौरान भगवान विष्णु अक्षय वट पर विराजमान थे। 12 माधव, लेटे हुए हनुमान जी, गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम और महर्षि भारद्वाज का आश्रम सहित अन्य प्रमुख स्थल यही पर स्थित है जिससे प्रयागराज का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है।
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने बताया कि महाकुंभ के दौरान जो 45 दिन है वह बहुत महत्व का है क्योंकि सनातन धर्म में महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना या संगम मे‌ स्नान करके दान - खाद्य सामग्री, वस्त्र, गौ‌दान या वेणी दान (सिर के बाल) करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मुख्य स्नान पर्वो पर स्नान करने से, कल्पवास करने से, संतों की सेवा करने से, श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों की सेवा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ऐसे में प्रत्येक सनातन धर्म मानने वाले को महाकुंभ के दौरान तीर्थराज प्रयागराज जरूर आना चाहिए।
जगद्गुरु नारायणाचार्य स्वामी शांडिल्य जी महराज ने बताया कि महाकुंभ के दौरान सनातन धर्म के 33 कोटि सभी देवी, देवता, यक्ष, गंधर्व, किन्नर सभी लोग तीर्थराज प्रयागराज में विराजमान रहते हैं। इनके आने से महाकुंभ का महत्व और बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सनातन धर्म के लोगों को महाकुंभ के दौरान तीर्थराज प्रयागराज परिवार, बंधु-बांधव और पड़ोसियों के साथ आकर गंगा, संगम स्नान कर दान जरूर करना चाहिए।

إرسال تعليق

0 تعليقات

Top Post Ad