प्रयागराज (राजेश सिंह)। राष्ट्रीय सेवा योजना इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह में बोलते हुए एस.एस.खन्ना महिला महाविद्यालय के मध्यकालीन इतिहास विभाग के डॉ. शिव शंकर श्रीवास्तव जी ने कहा कि काकोरी ट्रैन एक्शन कार्यवाही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना अपहृत करने की एक ऐतिहासिक घटना थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के डॉ. सर्वेश सिंह ने कहा
क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के लिये शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना अपहृत करने की योजना बनायी थी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन इतिहास विभाग के ही डॉ. अखिल कुमार गुप्ता ने कहा कि योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की सहायता से समूची लौह पथ गामिनी पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना अपहृत कर लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक प्रो. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि अंग्रेजी सत्ता ने क्रांतिकारियों की पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का प्रकरण चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मनीष कुमार गौतम ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. तेज प्रकाश जी ने किया इस अवसर पर शिक्षा शास्त्र विभाग की डॉ. कविता सिंह जी ने काव्य पाठ भी किया। इसी अवसर पर छात्रों की एक आशुभाषण प्रतियोगिता भी संपन्न हुई जिसमें बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्र सर्वेन्द्र सिंह, अमित कुमार शुक्ला, समीर कांत तिवारी और शिव दिवाकर ने प्रतिभाग करते हुए बताया कि इस प्रकरण में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। कार्यक्रम में बड़ी संख्या छात्रों के साथ साथ प्राध्यापक भी उपस्थित रहे।