प्रयागराज (राजेश सिंह)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा मामले के विवाद मे वाद बिंदु का निर्धारण शुरू हो गया है।
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एडवोकेट रीना एन सिंह |
हिंदुओं का पक्ष रख रही एडवोकेट रीना एन सिंह ने कुछ प्रमुख बिंदुओं को अदालत में प्रस्तुत किया उनके अनुसार भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने मथुरा नगरी को बसाया था इसके बाद चौथी शताब्दी में क्षत्रिय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने इसकी स्थापना की और इसी मंदिर को दसवीं शताब्दी में विदेशी आक्रांता मोहम्मद गोरी के द्वारा तोड़ा गया। एक प्रमुख बिंदु का जिक्र करते हुए एडवोकेट रीना सिंह ने कहा कि देश के आजाद होने के पहले 1920 में ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि चली गई थी तो कोई भी पक्ष ट्रस्ट बनाकर उस पर कब्जा करने की नीयत से ऐसा कोई दावा नहीं कर सकता कि वह उसकी संपत्ति है क्योंकि जो संपत्ति 1920 में ही एएसआई को चली गई वह खरीदी और बेची नहीं जा सकती है। उन्होंने मीडिया के समक्ष एक आरोप यह भी लगाया कि एक पक्ष को खुश करने के लिए 1967 में जब उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था तो भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मुसलमानों को दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि इस्लाम का जन्म तो बहुत बाद में हुआ लेकिन सनातन धर्म बहुत पहले का है। इस आधार पर यदि देखा जाए तो भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि को वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी बताना पूरी तरह से अनुचित है।
मुस्लिम पक्ष की तरफ से विरोध किए जाने के प्रश्न पर रीना एन सिंह ने कहा कि यह वही मुस्लिम पक्ष है जो मुकदमे की शुरुआत के दौरान अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने की बात करता था लेकिन आज एक छोटा सा निर्णय आने पर भी यह लोग सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं और बड़े-बड़े वकीलों को खड़ा करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना सिंह ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि हिंदुओं की जीत होगी और भगवान कृष्ण लाल को उनकी जन्मभूमि वापस मिलेगी।मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी