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राम को वनवास-रावण का राजतिलक? आयोजन को लेकर विवाद, उपद्रव की आशंका!

SV News

नैनी, प्रयागराज (राजेश सिंह)। पिछले 50 वर्षों से श्रमिक बस्ती, नैनी में आयोजित होने वाली रामलीला को लेकर तरह-तरह के विवाद खड़े हो गए हैं। 
जिस व्यक्ति ने राम की तरह तमाम कष्ट सहे। पिछले तीस वर्षों से रामलीला के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। आज वो राम की तरह वनवासी हो गए हैं। कमेटी पर एक बाहरी व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है। जो इस क्षेत्र का पार्षद भी नहीं है। दूसरे पार्षद के क्षेत्र में जबरन रामलीला कराने को लेकर श्रमिक बस्ती के निवासी और दबंगई के बल पर जबरन रामलीला करा रहे शोरे पुस्त के लोग आमने-सामने आ गए हैं। 
गौरतलब है कि नैनी क्षेत्र के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ नेता श्री नयन कुमार कुशवाहा पिछले तीन दशक से सार्वजनिक रामलीला कमेटी से जुड़े रहे हैं। सार्वजनिक रामलीला कमेटी की स्थापना स्वर्गीय पीएन चड्डा जी ने की थी। श्री पीएन चड्डा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नयन कुमार कुशवाहा शुरू से ही सक्रिय रहे। चड्ढा जी की मृत्यु के बाद रामलीला संचालन की जिम्मेदारी श्री नयन कुमार कुशवाहा ने संभाली और बड़ी ही कुशलता से इसका आयोजन कराते रहे। 
इस बीच एक पार्षद को इन लोगों ने कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। पूर्व सांसद द्वारा रामलीला के आयोजन को लेकर लाखों रुपए की आर्थिक सहायता दी गई। नैनी की जनता से भी रामलीला के नाम पर लाखों रुपए चंदा प्रतिवर्ष वसूला जाता है।
स्थिति यह है कि रामलीला को लोगों ने अपने राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन का एक माध्यम बना लिया है। इस राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के चलते रामलीला की गरिमा प्रभावित हो रही है। 
सार्वजनिक रामलीला कमेटी के द्वारा श्रमिक बस्ती, नैनी स्थित रामलीला मैदान में पिछले कई वर्षों से रामलीला का आयोजन होता चला आया है। इस बीच कमेटी में विवाद हो गया और सार्वजनिक रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ने समिति से कई लोगों को बाहर कर दिया। 
पिछले तीन दशक में से जिस व्यक्ति ने तमाम कष्ट सहे और रामलीला का आयोजन कराते रहे। उन्हीं को मनमाने तरीके से आयोजन समिति के लोगों ने बाहर कर दिया। अब स्थिति यह है कि कालोनी नैनी के लोग मानस रामलीला समिति के नाम से नई कमेटी बना कर दूसरे स्थान पर रामलीला करने के लिए विवश हो गए हैं, जबकि सार्वजनिक रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित कराई जाने वाली रामलीला मैदान पर इन्हीं लोगों का पहला अधिकार होना चाहिए, जो पहले से रामलीला कराते चले आए हैं। 
प्रशासन के लिए गंभीर समस्या यह उत्पन्न हो गई है कि नये स्थान पर रामलीला के आयोजन की अनुमति दी जाए अथवा नहीं? क्योंकि रामलीला का आयोजन लगातार 15 दिन तक होता है और वहां पर शांति व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होती है। मानस रामलीला समिति के लोगों का यह कहना है कि वे लोग श्रमिक बस्ती रामलीला मैदान में ही रामलीला कार्यक्रम का आयोजन करना चाहते हैं। लेकिन दबंगई केवल पर उन्हें रोका जा रहा है। जिससे वह अब दूसरे स्थान पर रामलीला के आयोजन की तैयारी में लगे हैं। नए स्थान पर रामलीला आयोजन की अनुमति प्रशासन द्वारा दी जाएगी अथवा नहीं? यह एक अलग का विषय है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो व्यक्ति इस आयोजन से पिछले 30 वर्षों से लगातार जुड़ा रहा हो। उसे अचानक अलग करके मनमाने तरीके से रामलीला कराया जाना उचित नहीं माना जा रहा है। जिस क्षेत्र में रामलीला होती है। उस क्षेत्र के पार्षद भी नयन कुमार कुशवाहा के साथ हैं। कालोनी के निवासी, स्थानीय जनता भी इन लोगों के पक्ष में है। लेकिन एक कमेटी के लोगों की मनमानी के कारण जो व्यक्ति पिछले 30 वर्षों से रामलीला का आयोजन करता चला आया है। वह राम की तरह बनवासी हो गया है और दबंगई केवल पर जिन लोगों ने कमेटी पर कब्जा कर दिया है। वे लोग मनमाने तरीके से रामलीला का आयोजन कराए जाने पर अड़े हैं। 
इसको लेकर श्रमिक बस्ती में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्रशासन को इस मामले में सूझबूझ से काम लेना होगा। वरना कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है। लोगों का कहना है कि नैनी बाजार क्षेत्र के जो पार्षद हैं। वे अपने क्षेत्र में रामलीला करायें। दूसरे पार्षद के क्षेत्र में जाकर रामलीला करना सिर्फ उपद्रव फैलाने के अलावा और कुछ भी नहीं है। लोगों ने परगना अधिकारी एवं प्रभारी निरीक्षक, थाना नैनी से मांग किया है कि नयन कुमार कुशवाहा के नेतृत्व में ही श्रमिक बस्ती में रामलीला मैदान में रामलीला कराई जाए और नैनी बाजार के जो बाहरी लोग जबरदस्ती श्रमिक बस्ती में रामलीला करना चाहते हैं। उनके रामलीला मैदान में आने पर प्रतिबंध लगाया जाय। लोगों का यह भी कहना है कि दशहरे के दिन नैनी का रामदल नैनी बाजार से होकर गुजरता है। दो कमेटियों के द्वारा रामलीला कराई जाएगी और दोनों कमेटियों के रामदल नैनी बाजार से होकर गुजरेंगे, तो भारी बवाल भी हो सकता है। प्रशासन को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए मामले का समाधान कराया जाना चाहिए, अन्यथा नैनी का माहौल अशांत हो सकता है।

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