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महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़े का होगा भव्य विस्तार

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प्रयागराज (राजेश शुक्ल)। कभी उपेक्षित व तिरस्कृत रहे किन्नरों का सनातन धर्म से जुड़ाव बढ़ रहा है। अलग-अलग क्षेत्रों के किन्नर धर्म की राह पर चलकर अपना जीवन संवार रहे हैं। इसके तहत किन्नर अखाड़ा का महाकुंभ में विस्तार किया जाएगा।

महाराष्ट्र, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अनेक राज्यों के 12 से अधिक किन्नरों को महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की जाएगी। साथ ही 50 से अधिक किन्नरों को संन्यास दिया जाएगा। साथ ही अखाड़े में नए सिरे से पद की जिम्मेदारी दी जाएगी।

अखाड़े की उत्तर भारत प्रभारी महामंडलेश्वर भवानी मां ने पद से इस्तीफा दे दिया है। जून माह में कामाख्या में हुए जूना अखाड़ा व किन्नर अखाड़ा के पंचों की बैठक में भवानी से इस्तीफा देकर अलग होकर हरिद्वार में श्रीदशनाम जूना अखाड़ा किन्नर धाम बनाकर वहीं रहती हैं। वहां देशभर के पांच सौ के लगभग किन्नरों को जोड़कर धर्म-आध्यात्म की सीख दे रही हैं।

भवानी का कहना है कि आठ फरवरी 2023 को प्रयागराज के माघ मेला क्षेत्र में किन्नर अखाड़ा के शिविर में आग लग गई थी। उन्हें अखाड़े से उस समय कोई मदद नहीं मिली। इससे काफी कष्ट हुआ, जिससे पद छोड़ दिया। मैं जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि की शिष्य हूं। अवधेशानंद गिरि ने मुझे दीक्षित किया है। मैं जूना अखाड़ा से जुड़कर वंचित समाज के लोगों को धर्म व आध्यात्म से जोड़ने की मुहिम चला रही हूं। उन्‍होंने आगे कहा कि महाकुंभ-2025 के महाकुंभ में शिविर लगाने की तो अभी उसका विचार नहीं है। मैं किन्नर अखाड़ा के शिविर नहीं जाऊंगी। अगर जूना अखाड़ा बुलाएगा तो जरूर प्रयागराज आऊंगी।

वहीं, किन्नर अखाड़ा के पंचों की 28 सितंबर को वाराणसी में हुई बैठक में अखाड़े के विस्तार का निर्णय लिया गया। अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि हम धर्म की राह पर चल रहे हैं। इसमें सबको साथ लेकर चलने की प्रेरणा दी जाती है। हम किसी को अलग नहीं करेंगे। अगर कोई जाएगा तो जबरन पकड़ेंगे भी नहीं। हमारा ध्यान अखाड़े के विस्तार पर है। उस दिशा में काम चल रहा है। किन्‍नारों के अलावा महाकुंभ में इस बार वंचित समाज के 71 संतों को महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। यह कदम सामाजिक समरसता और धार्मिक एकता को बढ़ावा देने वाला है। महामंडलेश्वर की उपाधि पाने वाले संतों को मठ मंदिरों के संचालन की जिम्‍मेदारी दी जाएगी।

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