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भारत-कनाडा क्यों हैं आमने-सामने, राजदूत वापस बुलाने तक कैसे पहुंची बात

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नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के संदर्भ में भारत व कनाडा के बीच चल रहा कूटनीतिक विवाद काफी गंभीर रुख अख्तियार कर चुका है। सोमवार को नई दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायुक्त को समन कर विदेश मंत्रालय बुलाया गया और उन्हें इस बात पर फटकार लगाई गई कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और उच्चायोग के अधिकारियों को निज्जर हत्याकांड से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। सोमवार को कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा का नाम बतौर ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ में शामिल किया। जिसका अर्थ होता है, पुलिस को लगता है कि वह किसी अपराध में शामिल हो सकता है। हालांकि, पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती, लेकिन उसे जांच के दायरे में रखा जा सकता है। भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और दूसरे उन सभी अधिकारियों को स्वदेश बुलाने का फैसला किया जिन्हें कनाडा सरकार अभियोजित करने की कोशिश कर रही है। देर शाम भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त समेत छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। उन्हें 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने को कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार के आरोपों को बेहूदा करार दिया और कहा कि उसे अब ट्रूडो सरकार पर भरोसा नहीं है, वह कुछ भी कर सकती है। साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि भारत के खिलाफ अतिवाद, हिंसा और अलगाववाद का समर्थन करने वाली ट्रूडो सरकार पर आगे कार्रवाई करने का उसका अधिकार सुरक्षित है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक राजनयिक संचार मिला था। इसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक निज्जर हत्याकांड से संबंधित मामले में हितधारक हैं। बता दें कि निज्जर की जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। भारत-कनाडा विवाद की शुरुआत वर्ष 2023 में उस वक्त हुई जब खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में 18 जून को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भारत द्वारा आतंकवादी घोषित हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में कनाडा ने भारत की संलिप्तता का दावा किया था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को कनाडा की संसद में आरोप लगाया कि भारत भारत सरकार के एजेंटों ने ही हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की है। इसके भारत भारत ने कनाडा के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था। गौरतलब है कि एक साल से चल रहे इस विवाद में कनाडा ने अभी तक भारत को एक भी सबूत उपलब्ध नहीं कराये हैं। भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी और कहाश् भारत सरकार निरर्थक आरोपों को सिरे से खारिज करती है और इसे ट्रूडो प्रशासन की वोट बैंक राजनीति के एजेंडे से प्रेरित मानती है। पीएम ट्रूडो ने सितंबर 2023 में जो आरोप लगाए थे, उसके संदर्भ में अभी तक एक भी सुबूत भारत सरकार को उपलब्ध नहीं कराया गया है। अभी जो नया कदम उठाया गया है, उसके पीछे भी कोई सुबूत नहीं है। ऐसे में इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उक्त कदम भारत की छवि को नुकसान पहुंचाकर राजनीतिक लाभ के मकसद से उठाया गया है। वर्ष 2018 में ट्रूडो की भारत यात्रा का जिक्र भी किया गया है, जिसका इस्तेमाल ट्रूडो ने कनाडा चुनाव में अपनी छवि चमकाने के लिए किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ट्रूडो ने अपनी कैबिनेट में भारत के खिलाफ अलगाववाद व अतिवाद का समर्थन करने वालों को जगह दी। दिसंबर 2020 में ट्रूडो द्वारा दिए गए एक भारत विरोधी बयान का भी जिक्र किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अब भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाना इसी सोच की अगली कड़ी है। विदेश मंत्रालय ने कहाश् यह कोई संयोग नहीं है कि भारतीय राजनयिकों के खिलाफ तब माहौल बनाया गया है जब ट्रूडो कनाडाई संसद की विदेशी मामलों से जुड़े आयोग के समक्ष पेश होने वाले हैं। ट्रूडो अपने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए हमेशा से भारत विरोधी एजेंडे पर काम करते हैं। ध्यान रहे कि ट्रूडो आंतरिक तौर पर बड़े राजनीतिक चुनौतियों से घिरे हैं। पिछले महीने ही उनके कुछ सहयोगी दलों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसमें एनडीपी भी शामिल थी जिसका खासा असर है। हालांकि वह किसी तरह विश्वास प्रस्ताव में बहुमत साबित करने में सफल रहे थे, लेकिन उनकी राजनीतिक स्थिति डावांडोल बनी हुई है। इसके साथ ही आर्थिक और हाउसिंग सेक्टर का संकट भी बना हुआ है। इसी लिहाज से ट्रूडो सरकार बढ़-चढ़कर कट्टरपंथियों के हितों के साथ दिखना चाहती है। जिस तरह निज्जर मामले में भारतीय उच्चायोग को जोड़ा गया है, वह इसी का हिस्सा है।

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