झूंसी, कुंभ नगर (जितेन्द्र शुक्ला)। वैश्विक हिंदी महासभा एवं अखिल भारतीय हिंदी परिषद, भारत की ओर से अमर बलिदान दिवस एवं विश्व प्रेम दिवस के अवसर पर " विश्व में हिंदी के बहुरंग " विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शंकराचार्य मार्ग , महाकुंभ मेला क्षेत्र में आगमाचार्य तांत्रिक योगी रमेश जी महाराज के पंडाल में आयोजित हुई। मुख्य अतिथि इंडोनेशिया से पधारे डॉ०धर्म यश का कहना था कि हिंदी विश्वभर में बहुत तेजी से फैल रही है।भारतीय आध्यात्म,साहित्य,संस्कृति को भी फैला रही है। मैंने इंडोनेशिया में मौलिक, अनुदित 80 पुस्तकें प्रकाशित कर निशुल्क बंटवाया है। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए संचालक डॉ० शंभूनाथ त्रिपाठी अंशुल ने बताया कि कोई भी देश ऐसा नहीं है, जहां के लोग हिंदी न जानते हों ।टूटी-फूटी हिंदी लगभग सभी पढ़े-लिखे नागरिक जानते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नई दिल्ली से आए प्रोफेसर राकेश कुमार ने कहा - नवरात्र में स्त्री की पूजा होती है, ठीक उसी तरह मातृभाषा हिंदी को शक्ति मानकर उसकी साधना करनी चाहिए। सरकारी सेवा में रहते हुए मैंने जीवन भर हिंदी में काम किया है। विशिष्ट अतिथि पूर्व अपर मुख्य सचिव एवं अग्रणी साहित्यकार डॉ०प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कहा-ब्रिटेन में भी हिंदी का परचम लहरा रहा है। इंग्लैंड, मॉरीशस की अनेक संस्थाएं हिंदी के कार्यक्रम करती हैं तथा भाषाई समन्वय के साथ कवि सम्मेलनों का भी आयोजन होता है। स्वीडन से पधारे डॉ०रविकांत पाठक ने कहा-सबसे बड़ा नोबेल पुरस्कार देने वाले स्वीडन में प्रवासी हिंदी भाषियों की काफी संख्या है। वहां हिंदी लोगों के रग-रग में प्रवाहित है।
कार्यक्रम का विषय प्रतिपादन करते हुए वैश्विक हिंदी महासभा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सुपरिचित साहित्यकार डॉ०विजयानन्द ने कहा कि विश्व की सर्वोच्च व्यापारिक भाषा बन चुकी हिंदी, राष्ट्रभाषा,विश्वभाषा होकर रहेगी। फिजी विश्व हिंदी सम्मेलन में लगभग 20 देशों से आए हिंदी सेवियों, नेताओं ने यह संकेत भी दिया।
संगोष्ठी के तुरंत बाद बहुभाषी कवि सम्मेलन आयोजित हुआ।कार्यक्रम में सर्वश्री डॉ ०धर्मयश(इंडोनेशिया), डॉ०वनवारी लाल जाजोड़िया (इंदौर), नंदलालमणि त्रिपाठी 'पीतांबर' (गोरखपुर), डॉ०रामलखन गुप्त (चाकघाट) ओंकार सिंह यादव(झांसी), डॉ०इंदु जौनपुरी(जौनपुर), डॉ०गंगा प्रसाद त्रिपाठी 'मासूम' , श्रीमती सत्यभामा मिश्रा, अमित शर्मा (प्रयागराज), डॉ०वीरेंद्र तिवारी (बलिया) शिव लाल गुप्त (रीवा ),जगदंबा प्रसाद शुक्ल (प्रयागराज) आदि कवियों ने हिंदी, महाकुंभ से जुड़ी बहुभाषी कविताओं को प्रस्तुत किया।
बुद्धिअर्थ (बाली), सुनर्नो (जकार्ता ), श्रीमती वीरवती ( जकार्ता),श्रीमती उषा अग्रवाल (झांसी) , राम जस (मॉरीशस) आदि की उपस्थिति से कार्यक्रम गौरवान्वित हुआ। इस अवसर पर सभी को स्मृति चिह्न, अंगवस्त्र आदि भेंट कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ०शंभूनाथ त्रिपाठी 'अंशुल ' ने किया। गंगा प्रसाद त्रिपाठी, संयुक्त महामंत्री