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भारत में भी चले राम मुद्रा, महाकुंभ से फिर बुलंद हुई आवाज़

 

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कुम्भ नगर (राजेश शुक्ला)। हिंदू राष्ट्र और सनातन बोर्ड के बाद महाकुंभ से एक और बड़ी मांग उठी है। कहा जा रहा है कि भारत में भगवान श्रीराम के फोटो वाले नोट चलन में लाए जाएं। ये मांग दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वक्त भी उठी थी, जब वो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर थे। तब आरबीआई ने तर्क दिया था कि भारत में दो तरह की मुद्राएं नहीं चल सकतीं।

नीदरलैंड में श्रीराम के फोटो वाली मुद्रा को डिजाइन कराने और चलन में लाने के लिए जिस संस्था ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ ने योगदान दिया, उसी ने एक बार फिर से यह मांग दोहराई है। इस संस्था से जुड़े बड़े अर्थशास्त्री अब RBI से मिलने का प्लान बना रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि मोदी सरकार में इस मांग पर ध्यान दिया जा सकता है। ये मुद्रा हॉलैंड, जर्मनी समेत 30 देशों में चली थी। यह संस्था महर्षि महेश योगी से जुड़ी है, जो सबसे धनी आध्यात्मिक संस्था मानी जाती है।

एक राम मुद्रा की कीमत 10 अमेरिकी डॉलर महर्षि योगी की संस्था ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस ने अक्टूबर, 2002 में अपनी संस्था की एक मुद्रा भी जारी की। राम नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले 1, 5 और 10 के नोट हैं। इन नोटों पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की फोटो लगी है। नोटों पर रामराज्य मुद्रा लिखा है। इस मुद्रा पर कामधेनु गाय के साथ कल्पवृक्ष की तस्वीर भी बनी है। अमेरिका के मध्य पश्चिमी भाग में स्थित आयोवा राज्य की ‘महर्षि वैदिक सिटी’ में इस संस्था ने ये नोट बांटे थे। फिर ऐसे ही नोट नीदरलैंड में भी बांटे गए।

कागज की एक राम मुद्रा की कीमत 10 अमेरिकी डॉलर तय की गई। इस रेट से कोई भी शख्स राम मुद्रा को खरीद सकता है। अमेरिका के 35 शहरों में राम पर आधारित बॉन्ड भी चलते हैं। नीदरलैंड की डच दुकानों में एक राम मुद्रा के बदले 10 यूरो मिल सकते हैं।

हालांकि, एक पुरानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नीदरलैंड के सरकारी बैंक ने बताया था कि राम मुद्रा को कभी लीगल टेंडर (आधिकारिक मुद्रा) घोषित नहीं किया गया। वो सिर्फ एक कागज का टुकड़ा था, जिसकी कुछ कीमत तय की गई थी। उसे लोग श्रम या उत्पाद के बदले एक-दूसरे को देते-लेते थे।

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