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काशी की सड़कों पर दिखा अध्यात्म का वैभव, धूमधाम से निकली आवाहन अखाड़े की राजसी यात्रा

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वाराणसी। धर्म-अध्यात्म व सर्वविद्या की राजधानी काशी मंगलवार को नागा संन्यासियों के अध्यात्म की दमक से चमक उठी। श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के संतों ने पूरे वैभव के साथ राजसी यात्रा (पेशवाई) निकाली। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर महंत अरुण गिरि उपाख्य पर्यावरण बाबा के नेतृत्व में निकली राजसी यात्रा में अखाड़े के गुरु देवता सिद्ध गणेश रजत पालकी, निशान देवता भाला के साथ रथों पर सवार सैकड़ों महंत, श्रीमहंत, अवधूत, रमता पंच व नागा संन्यासी सम्मिलित हुए।

बाजे-गाजे व बैंड की धुनों पर झूमते-नाचते नागा संन्यासी, भाले, तलवार, गदा आदि अनेक शस्त्रों से सुसज्जित हो उनका प्रदर्शन करते, करतब दिखाते, हर-हर महादेव का उद्घोष करते चल रहे थे। उनके दर्शन के लिए सड़क के दोनों ओर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ अटी पड़ी थी। श्रद्धालुओं ने संतों-महंतों, संन्यासियों पर पुष्प वर्षा की तो बदले में संतों द्वारा फेंके गए फूलों को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया।

कबीरचौरा स्थित अखाड़े की शाखा दूधनाथ मठ से निकली अध्यात्म की यह राजसी यात्रा बेनियाबाग, नई सड़क, गिरजाघर चौक, गोदौलिया होते दशाश्वमेध घाट पहुंची। वहां गंगा स्नान कर सबने गुरु देवता के दरबार में पुकार लगवाई। इसके बाद घाट पर स्थित अखाड़े के मुख्यालय सहित आसपास के घाटों पर बनी मढ़ियों, शिविरों में अपना स्थान जमाते हुए धूनी रमाई।

दूधनाथ मठ में अखाड़े के गुरु देवता सिद्ध गणेश व निशान देवता भाला का सविधि पूजन-अर्चन करने के बाद नागा संन्यासियों ने खिचड़ी-दही का प्रसाद ग्रहण किया। इसके पश्चात भस्म-भभूत का श्रृंगार किए व रुद्राक्ष व गेंदा आदि तरह-तरह की मालाएं पहने, जटा-जूट संवारे नागा संन्यासियों ने गुरु देवता को रजत पालकी में बिठाकर एक वाहन पर सवार कराया तथा निशान देवता के साथ हाथों में तलवार, भाले, गदा आदि अस्त्र-शस्त्र लिए हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए निकले।

नागा संन्यासियों में बहुत से भगवाधारी, कौपीन धारी तथा दिगंबर संत सम्मिलित हुए। आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरि उर्फ पर्यावरण बाबा, महामंडलेश्वर राम गिरि महाराज, संरक्षक श्रीमहंत भारद्वाज गिरि महाराज, सभापति श्रीमहंत प्रयाग भारती महाराज, निवर्तमान सभापति श्रीमहंत पूनम गिरि महाराज, थानापति श्रीमहंत कैलाश पुरी महाराज, श्रीमहंत मंगलानंद सरस्वती, थानापति (आय-व्यय निरीक्षक) श्रीमहंत कैलाशपुरी महाराज के अतिरिक्त श्रीमहंत नरेश गिरि महाराज, श्रीमहंत हरिहरपुरी महाराज, श्रीमहंत अक्षय गिरि महाराज, श्रीमहंत जयभारती महाराज, रमता पंच, महामंत्री श्रीमहंत सत्य गिरि महाराज, सचिव श्रीमंहत दुर्गा गिरि महाराज आदि श्वेताश्वों से सजे आकर्षक रथों पर सवार हुए तो रमता पंच समेत अनेक साधु-संन्यासी व नागा साधु पैदल ही हर-हर महादेव का उद्घोष करते चले। संन्यासियों का जत्था मंथर गति से आगे बढ़ता रहा। लोग संन्यासियों पर पुष्प वर्षा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे। रथों पर सवार संन्यासियों द्वारा श्रद्धालुओं की ओर फेंके जा रहे फूलों को आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त करने की लोगों में होड़ मची रही।

दशाश्वमेध पर थी स्नान की विशेष व्यवस्था

राजसी यात्रा के दशाश्वमेध घाट पहुंचने पर नागा संन्यासी हर-हर गंगे का उद्घोष करते हुए गंगा की ओर दौड़ पड़े और उसमें स्नान के लिए कूद पड़े। सबने भरपूर स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।


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