कुंभनगर (राजेश शुक्ल)। हिंदू राष्ट्र, मंदिर निर्माण और तथाकथित धर्माचार्यों का मुद्दा महाकुंभ में छाया रहा। धर्मसंसद हो या संतों की बैठक, सभी ने एक स्वर से इन मुद्दों पर खुलकर अपनी बात कही। विश्व में जो हिंदुओं की स्थिति है, उससे हम भयभीत हैं। लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। अगर हिंदू राष्ट्र होगा तो देश के अंदर जो धर्म परिवर्तन हो रहा है वह नहीं होगा। हम ऐसा भी नहीं कह रहे हैं कि हम किसी को हिंदू बनाएंगे। लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि सनातनी देश में हिंदू अल्पसंख्यक होते चले जाएं। एक राष्ट्र ऐसा होना चाहिए, जो संपूर्ण मानवता को आत्मसात करके चलने वाला हो। हिंदुत्व और सनातन के सच्चे पुजारी मिलते रहेंगे तो हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना भी साकार होगी। सनातन धर्मावलंबी संगठित हो जाएं तो हिंदू राष्ट्र बनने में समय नहीं लगेगा। जिस दिन संपूर्ण प्रांत का हिंदू यह सोच लेगा कि हिंदू राष्ट्र बनाना है तो फिर देर नहीं होगी।
शंकराचार्य का पद बेहद महत्वपूर्ण है। इस पर किसी भी तरह के व्यक्ति को नहीं बैठाना चाहिए। इस पद पर अयोग्य लोग बैठ जाएंगे तो धर्म की स्थिति संभाल नहीं पाएंगे। कई बार देखा गया कि विधर्मियों ने तथाकथित शंकराचार्य से सवाल पूछे? उन्हें ना गीता का ज्ञान है, ना रामायण का और ना ही वेदों का। ऐसे में वह उलजुलूल उत्तर देते हैं। जिससे धर्म का ह्रास होता है, हम लोगों को लज्जित होना पड़ता है। इसलिए जो सुयोग्य हो, उन्हें इस पद पर बैठाया जाना चाहिए। मनगढ़ंत और तथाकथित शंकराचार्य को पद से हटा देना चाहिए।
हिंदू राष्ट्र का मतलब है कि कुरीतियों को दूर करना। हिंदू धर्म में जाति-पाति के आधार पर ऊंच-नीच, छुआछूत की भावना और दहेज प्रथा। यह पहले नहीं थी। सफाई करने वाले को मेहतर कहा जाता था, मेहतर का अर्थ होता है, जो सबसे महान है। हमारी मां हमें पवित्र करती है, साफ करती है, स्वच्छ करती है इसलिए हम उसका पांव छूते हैं। वेद में भी शूद्र को भगवान का चरणामृत कहा गया है। दहेज प्रथा बंद होनी चाहिए। महाकुंभ की दृष्टि से यही कहना चाहेंगे कि हमारे सनातन धर्मावलंबियों ने कितनी परंपराओं से एक साथ बैठने, चलने, भोजन करने और एक जैसी वाणी बोलने की प्रेरणा दी है। यह स्वरूप हमें कुंभ में देखने को मिलता है। हम जब त्रिवेणी में स्नान करते हैं तो क्या हम देखते हैं कि बगल में कौन स्नान कर रहा है। इससे पता चलता है कि हम सब एक हैं। इसी सभ्यता और संस्कृति को आने वाली पीढ़ी को नवीनता के साथ विस्तृत करना चाहिए। काशी विश्वनाथ मंदिर का काम पूरा हो चुका है। अदालतों के आदेश प्राप्त होने हैं, उसके बाद मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। जल्द ही भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मार्ग भी प्रशस्त होगा। देश भर में रहने वाले कई मुसलमान बेहद समझदार हैं। उनको आगे आना चाहिए। भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर मुहर लगाते हुए खुद कहना चाहिए कि यह देश राम, कृष्ण और भगवान शंकर का है। उनके जो प्रमुख मंदिर हैं, उन मंदिरों का निर्माण अतिशीघ्र करने में सहयोग करना चाहिए।