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जब मेला समाप्त हो गया तो नो व्हीकल जोन में क्यों भटक रहे श्रद्धालु

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कुंभनगर (राजेश शुक्ल)। 10 लाख कल्पवासी त्रिवेणी तट छोड़कर जा चुके हैं। उनके टेंट उखड़ चुके हैं। उनके नात-रिश्तेदार या परिचितों की भीड़ भी अब नहीं है। लेकिन सेक्टर नंबर छह से गदा माधव मार्ग के बीच हर 100 मीटर पर बैरिकेडिंग है। आवागमन प्रतिबंधित है। पैदल भी लोगों को डायवर्ट कर भेजा रहा है। मेले के सेक्टर 20 से अखाड़े काशी पहुंच गए हैं। अब दर्शन करने आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ वहां खत्म है। स्नान पर्व आस-पास नहीं हैं। लेकिन यहां पहुंचने के लिए पीपा पुल बंद है, झूंसी की ओर से भी बैरिकेडिंग है और आना प्रतिबंधित है। श्रद्धालु कैसे जाएं ? किसी को नहीं पता।

हर प्रश्न का एक ही जवाब बैरिकेडिंग पर पुलिस है, आगे से घूम कर जाइए। पैदल चलते-चलते लोगों के पैर जवाब दे दे रहे हैं। स्वास्थ्य बिगड़ रहे हैं। लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। मलाक हरहर के रहने वाले धीरू त्रिपाठी बाइक से संगम स्नान के लिए गंगा पथ फाफामऊ पहुंचे। यहां बैरिकेडिंग से रोका गया तो वापस तेलियरगंज से बक्शी बांध पहुंचे। यहां नागवासुकि ढाल पर रोक कर फिर वापस भेज दिया गया। सोरांव के रहने वाले एडवोकट आशुतोष मिश्र को वैदिक सेवा न्यास सेक्टर नौ में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के ल‍िए जाना था। लालरोड से बांध पर पहुंचे तो नागवासुकि जाने के लिए रोक दिया गया। वापस लौटै, ढाल से नीचे काली रोड मार्ग की बैरिकेडिंग पर पहुंचे तो जवाब मिला पीछे से घूम कर जाओ।

मेले में नो व्हीकल जोन

केंद्रीय अस्पताल के सामने से किसी तरह मिन्नत कर काली रोड पर पहुंचे लेकिन बांध से फिर वापस भेज दिया गया। फिर वापस आए, दारागंज रोड से आगे बढ़े, संगम स्टेशन के पास पुनरू बैरिकेडिंग कर रोक दिया गया कि वापस जाइए मेले में नो व्हीकल जोन है। आगे नहीं जा सकते हैं।

बैरिकेडिंग पर रोक दिया गया

थक हारकर वह बाघंबरी रोड से वापस कचहरी चले गए। प्रयाग स्टेशन पर उतरे तो अयोध्या के सुधेश चौहान, अमर पाल, शिवबाबू यादव ने प्लेटफॉर्म नंबर तीन के बाहर से ई-रिक्शा किया। छोटा बखाड़ा की ओर बढ़े तो पहले ही बैरिकेडिंग पर रोक दिया गया कि पैदल जाएं, अंदर नहीं जा सकते।

भटक-भटक कर थक गए श्रद्धालु

वाराणसी से बाइक से आए सुधीर पांडेय व उनके मित्र अवधेश किसी तरह से झूंसी तक आ गए लेकिन मेला ढाल की पहली बैरिकेडिंग पर रोक दिया गया। कहा गया क‍ि घूम कर जाओ। सुधीर बताते हैं कि भीड़ नहीं है, फिर भी चकरघिन्नी बना दिए हैं। यहां से न जाओ, वहां से न जाओ, आखिर श्रद्धालु जाए कैसे? नहीं जाने देना तो घोषणा कर दो मेला खत्म है। प्रयागराज कोई न आए।

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