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काशी विश्वनाथ एवं मां गौरा को लगी हल्दी, वनवासी समाज ने बाबा को अर्पित किया गुलाल



वाराणसी। रंगभरी एकादशी और होली को लेकर काशी विश्वनाथ धाम में भी तैयारियां चल रही हैं। मथुरा से बाबा के लिए उपहार भेजे गएं। इसी क्रम में सोनभद्र के वनवासी समाज के लोगों ने मंदिर परिसर में पारंपरिक आयोजन किए।

रंगभरी एकादशी त्रिदिवसीय लोक उत्सव की शृंखला में इस वर्ष मंदिर के पारंपरिक पर्व को लोकमानस के और निकट लाने का प्रयास किया गया। 8 मार्च को बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की चल प्रतिमा शास्त्रीय अर्चना के साथ मंदिर चौक में शिवार्चनम मंच के निकट तीन दिन के लिए विराजमान की गई।

यह विशेष आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से किया गया। रंगभरी उत्सव की इसी श्रृंखला में रविवार की सुबह मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेंट की गई अबीर एवं उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे वनवासी समाज के भक्तों द्वारा राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया। मंदिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्र एवं डिप्टी कलेक्टर शम्भु शरण ने विधि-विधानपूर्वक श्री विश्वेश्वर का पूजन किया और हर्बल गुलाल अर्पित किया।

इसके पश्चात बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा की पालकी मंदिर चौक में निकाली गई। यह यात्रा श्रद्धालुओं एवं स्थानीय काशीवाशियों के बीच एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनी। हजारों श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में भाग लिया और बाबा विश्वनाथ एवं मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी लगाने की प्रथा का निर्वहन किया।

बाबा विश्वनाथ के हल्दी समारोह में विशेष रूप से मथुरा से आए भक्तगण, श्री कृष्ण जन्मस्थली से बाबा विश्वनाथ हेतु उपहार सामग्री लेकर आए भक्त, प्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक विक्रम सम्पत, वनवासी समाज के भक्तों ने अपनी सहभागिता की।

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