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चीन की उड़ी नींद, भारत जापान मिलकर कर रहे जंगी सैन्य अभ्यास ‘धर्म गार्जियन’

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नई दिल्ली। भारत-जापान के बीच जापान के पूर्वी फूजी में चल रहा संयुक्त सैन्य अभ्यास श्धर्म गार्जियनश् दोनों देशों के सैन्य रणनीतिक संबंधों की गहराई को नया आयाम दे रहा है। दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास की इस छठी कड़ी में भारत और जापान की सेनाओं का इस बार फोकस वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य में शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहे आंतकवाद निरोधी आपरेशन पर है।

वहीं वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र शांति सुरक्षा मिशन से जुड़ी चुनौतियों में प्रभावशाली सैन्य अभियान का संचालन भी इस अभ्यास का अहम हिस्सा है। भारत-जापान का संयुक्त अभ्यास दोनों देशों के सामरिक रिश्ते के साथ-साथ क्वाड के लिए भी महत्वपूर्ण है। विशेषकर इस लिहाज से कि क्वाड देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग की पहल से चीन असहज होता रहा है।

असामान्य नहीं है मित्र देशों में संबंध

वैश्विक सामरिक कूटनीति में मित्र देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास असामान्य नहीं है मगर भारत-जापान के बीच मैत्रीपूर्ण सामरिक रिश्तों पर चीन की हमेशा से तिरछी निगाहें रही है। विशेषकर क्वाड देशों का समूह अस्तित्व में आने के बाद इसके सदस्य राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय के साथ बहुपक्षीय सहयोग को लेकर चीन शुरू से आशंकित रहा है क्योंकि बीजिंग हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को थामने की चुनौती के रूप में लेता है।

क्वाड में भारत और जापान के साथ अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इस परिप्रेक्ष्य में संयुक्त सैन्य अभ्यास के अपने सामरिक निहितार्थ हैं। भारत-जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन की शुरूआत बीते 24 फरवरी को हुई और यह नौ मार्च तक जापान के पूर्वी फूजी सैन्य प्रशिक्षण इलाके में चलेगा।

इस सैन्य अभ्यास में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों और सहयोग को कई स्तरों पर मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। सेना के अनुसार इस वर्ष के अभ्यास का प्राथमिक फोकस शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियान है। वर्तमान सुरक्षा वातावरण में शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी आपरेशन नई चुनौती के रूप में सामने आया है।

जंगी अभ्यास में निखार रहे रणनीति

इस लिहाज से अभ्यास में दोनों देशों के सैनिक अपनी रणनीति को निखार रहे हैं और जटिल शहरी परिस्थितियों में संचालन करने की अपनी क्षमता में सुधार कर रहे हैं। इसके साथ ही अभ्यास में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान का पारूप बनाया गया है जिसमें वास्तविक वैश्विक परिदृश्यों का स्वरूप दिखाते हुए बहुराष्ट्रीय सैन्य बलों के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।

सैन्य क्षमता को मजबूत बना रहे

जाहिर तौर पर दोनों देशों की सेनाएं ऐसे सुरक्षा वातावरण में चुनौतियों से निपटने का प्रभावी तरीका अपनाने का भी अभ्यास कर रही हैं। भारतीय सेना के मुताबिक जैसे-जैसे अभ्यास आगे बढ़ रहा है, दोनों पक्ष सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला में भाग लेते युद्ध के अनुभवों को साझा कर रहे हैं। दोनों देशों के सैनिक अपनी क्षमताओं को मजबूत करते हुए गहन सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।

सैन्य अभ्यास के साथ दोनों देशों में बढ़ेगी सांस्कृतिक समझ

अभ्यास को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय और जापानी सेना भविष्य के शांति या मानवीय मिशनों में सहज रूप से सहयोग कर सकती हैं। सैन्य अभ्यास के साथ-साथ दोनों देशों के सैनिकों के बीच सांस्कृतिक समझ बनाने और सौहार्द को बढ़ावा देते हुए अपनी-अपनी सांस्कृतिक विरासतों को भी साझा कर रहे हैं।

जाहिर तौर पर भारत-जापान के सामरिक सहयोग को दोस्ती की गहराई के मजबूत बंधन में बांधने का लक्ष्य भी अभ्यास का हिस्सा है। सेना के अनुसार भारत-जापान के बीच यह सैन्य सहयोग न केवल उनकी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में अहम है बल्कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।


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