प्रयागराज (राजेश सिंह)। महाकुंभ के समापन के बाद भी संगम की मनमोहक छटा बनी रहेगी। त्रिवेणी के तट पर सालों साल के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से प्रयागराज मेला प्राधिकरण के प्रस्ताव पर पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण सामुदायिक रसोई है जो वर्ष भर संचालित होती रहेगी, जिसमें 10 हजार लोगों को रोजाना भोजन मिल रहा है। इसके अलावा संगम थाना बना रहेगा, जिसमें एक सीओ व दो इंस्पेक्टर तथा पांच सब इंस्पेक्टर और 25 कांस्टेबल तैनात रहेंगे। साथ ही एक एसडीएम की भी तैनाती बनी रहेगी।
750 कैमरे से होगी निगरानी
संगम तट पर जल पुलिस का भी स्टाफ मौजूद रहेगा। सुरक्षा के लिए विशेष तौर पर लगाए गए 750 सीसीटीवी कैमरे भी नहीं हटाए जाएंगे। लगभग 400 चेंजिंग रूम और 40 मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था बनी रहेगी। संगम की सुंदरता बनी रहे, इसके लिए फ्लोटिंग जेटी के साथ ही घाट की रोज साफ-सफाई के लिए 300 सफाईकर्मी तैनात रहेंगे।
लगभग 400 तीर्थ पुरोहितों को बेहतरीन तख्त दिए जाएंगे तो पूजा सामग्री के दुकानदारों को अच्छे ठेले मिलेंगे। नाईबाड़ा अलग से बनेगा तथा फूलों के स्टॉल आकर्षक होंगे। संगम को प्लास्टिक फ्री जोन बनाने के लिए 11-10 स्टॉल पत्तल-दोना व कुल्हड़ के दुकान भी खोले जाएंगे।
लगी रहेगी दो हजार एलईडी लाइटें
सबसे अहम यह है कि रात में प्रकाश की व्यवस्था के लिए 2,000 एलईडी लाइट लगी रहेगी, जिन्हें केवल बाढ़ आने पर ही हटाया जाएगा। बाढ़ के तुरंत बाद ये लाइट फिर से लगा दी जाएंगी। संगम तक आवागमन के लिए वैसे तो इंटरलॉकिंग सड़क बना दी गई है मगर इसके आगे चकर्ड प्लेट की सड़क की व्यवस्था बनी रहेगी।
सुरक्षा के रहेंगे विशेष प्रबंध
अक्षयवट कॉरिडोर और हनुमान मंदिर कॉरिडोर में भी सुरक्षा समेत अन्य विशेष प्रबंध किए गए हैं। नाव का किराया भी निर्धारित कराया जाएगा। साथ ही स्पीड बोट से श्रद्धालु सैर कर सकेंगे।
सालों साल श्रद्धालुओं को मिलेंगी सुविधाएं
महाकुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि पवित्र त्रिवेणी के तट पर पूरे वर्ष श्रद्धालुओं को आवश्यक सुविधाएं मिलेंगी। महाकुंभ के बाद भी संगम पर विशेष व्यवस्था कराई जा रही है। बिजली, पानी, सड़क के साथ चेंजिंग रूम और टॉयलेट के भी प्रबंध रहेंगे।
आपको बता दें कि महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के मौके पर हो गया था। वहीं उसके अगले दिन सीएम योगी ने मेला का औपचारिक रूप से समापन कर दिया था। महाकुंभ के 45 दिन के दौरान 66.21 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया था।